प्रधानमंत्री मोदी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों पर जताई चिंता, ‘रूको,सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र दिया

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों पर जताई चिंता, ‘रूको,सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र दिया

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  • Publish Date - October 27, 2024 / 02:59 PM IST,
    Updated On - October 27, 2024 / 02:59 PM IST

नयी दिल्ली, 27 अक्टूर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए इससे बचने के लिए रविवार को देशवासियों से ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया और इस बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।

आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 150वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश के रचनात्मक ऊर्जा की एक लहर चल रही है और एनिमेशन की दुनिया में ‘मेड इन इंडिया’ और ‘मेड बाइ इंडियंस’ छाया हुआ है।

उन्होंने कहा कि एनिमेशन की दुनिया में भारत नयी क्रांति की राह पर है जबकि ‘गेमिंग क्षेत्र’ का भी विस्तार हो रहा है और ये दुनिया में लोकप्रिय हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर हो रहा भारत, हर क्षेत्र में कमाल कर रहा है।

‘डिजिटल अरेस्ट’ से जुड़े एक फरेबी और पीड़ित के बीच बातचीत का वीडियो भी साझा किया और कहा कि कोई भी एजेंसी न तो धमकी देती है, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है और न ही पैसों की मांग करती है।

इंटरनेट के तेजी से बढ़ते उपयोग के बीच ‘डिजिटल अरेस्ट’ फरेब का एक बड़ा माध्यम बनता जा रहा है। इसमें किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से ‘अरेस्ट’ हो गया है और उसे जुर्माना देना होगा। कई लोग ऐसे मामलों में डर जाते हैं और शिकार बन जाते हैं।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के दर्शकों को विस्तार से बताया कि इस प्रकार के फरेब करने वाले गिरोह कैसे काम करते हैं और कैसे ‘खतरनाक खेल’ खेलते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के शिकार होने वालों में हर वर्ग और हर उम्र के लोग हैं और वे डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपए गंवा देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का कोई कॉल आए तो आपको डरना नहीं है। आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी नहीं करती।’’

उन्होंने इससे बचने के लिए देशवासियों से ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे मामलों में घबराएं नहीं। शांत रहें। जल्दबाजी में कोई कदम ना उठाएं। किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी ना दें। संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें।’’

उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसी धमकी नहीं देती और न ही पूछताछ करती है और न वीडियो कॉल पर ऐसे पैसे की मांग करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है।’’

प्रधानमंत्री ने लोगों से ऐसे मामलों में राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर डायल करने और साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर रिपोर्ट करने के अलावा परिवार और पुलिस को सूचना देने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘सबूत सुरक्षित रखें। यह तीन चरण आपकी डिजिटल सुरक्षा का रक्षक बनेंगे। मैं फिर कहूंगा ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी कोई चीज नहीं है। यह सिर्फ धोखाधड़ी है, झूठ है और फरेब है। बदमाशों का गिरोह एैसा कर रहा है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं वह समाज के दुश्मन हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर जो फरेब चल रहा है उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसी राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं और आपसी तालमेल के लिए ‘नेशनल साइबर कोआर्डिनेशन’ केंद्र की स्थापना की गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी धोखाधड़ी करने वाली हजारों वीडियो कॉलिंग आईडी को ब्लॉक किया गया है। लाखों सिम कार्ड और बैंक अकाउंट को भी ब्लॉक किया गया है।’’

मोदी ने कहा कि ऐसे मामलों में एजेंसियां अपना काम कर रही हैं लेकिन ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर हो रहे फरेब से बचने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है।

उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों सहित हर जगह इसके बारे में लोगों से जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भारत को एनिमेशन की दुनिया की वैश्विक शक्ति बनाने का संकल्प लेने का भी आह्वान किया।

छोटा भीम, कृष्णा, हनुमान और मोटू-पतलू जैसे एनिमेशन चरित्रों की लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देश के बच्चों को भी खूब आकर्षित करते हैं और इन्हें चाहने वाले भी दुनियाभर में हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एनिमेशन की दुनिया में भारत नई क्रांति करने की राह पर है। भारत के गेमिंग स्पेस का भी तेजी से विस्तार हो रहा है। भारतीय गेम्स भी इन दिनों दुनिया-भर में लोकप्रिय हो रहे हैं।’’

पिछले दिनों भारत के अग्रणी गेमर्स से हुई अपनी मुलाकात को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वाकई, देश में रचनात्मक ऊर्जा की एक लहर चल रही है। एनिमेशन की दुनिया में ‘मेड इन इंडिया’ और ‘मेड बाइ इंडियंस’ छाया हुआ है।’’

प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि भारतीय प्रतिभाएं वैश्विक स्तर पर भी गेमिंग में मह्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

उन्होंने स्पाइडर मैन और ट्रांसफॉर्मर्स जैसी फिल्मों में भारतीय एनिमेटर हरि नारायण राजीव के योगदान की चर्चा की और कहा कि अब भारत के युवा मौलिक सामग्री तैयार कर रहे हैं, जो देश की संस्कृति की झलक दर्शाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘एनिमेशन क्षेत्र आज एक ऐसे उद्योग का रूप ले चुका है जो दूसरे उद्योगों को ताकत दे रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने ‘डिजिटल पर्यटन’ की बढ़ रही लोकप्रियता का भी जिक्र किया और युवाओं से अपनी सृजनात्मकता को विस्तार देने की अपील की।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या पता दुनिया का अगला सुपर हिट एनिमेशन आपके कम्प्यूटर से निकले! अगला लोकप्रिय गेम आपकी रचना हो। शिक्षा के क्षेत्र में एनिमेशन का आपका नवोन्मेष बड़ी सफलता हासिल कर सकता है।’’

प्रधानमंत्री ने 28 अक्टूबर को विश्व एनिमेशन दिवस का जिक्र करते हुए लोगों से भारत को एनिमेशन की दुनिया में पावरहाउस बनाने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

मोदी ने अपने संबोधन के दौरान आत्मनिर्भर भारत अभियान का भी उल्लेख किया और कहा कि यह देश की सामूहिक चेतना का हिस्सा बन गया है और पग-पग पर हमारी प्रेरणा और जुनून बन गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दस साल पहले जटिल प्रौद्योगिकी को भारत में विकसित करने की बात पर कई लोगों को विश्वास नहीं होता था, तो कई लोग उपहास उड़ाते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज वही लोग, देश की सफलता को देखकर हैरत में रहते हैं। आत्मनिर्भर हो रहा भारत, हर क्षेत्र में कमाल कर रहा है।’’

मोदी ने कहा कि एक जमाने में भारत मोबाइल फोन आयात करता था और आज वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माता बन गया है जबकि कभी दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरण खरीदने वाला भारत आज, 85 देशों को निर्यात कर रहा है और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत आज, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना है।

उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भरता का ये अभियान अब सिर्फ सरकारी अभियान नहीं है, अब आत्मनिर्भर भारत अभियान एक जन अभियान बन रहा है। हम हर क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने इस कड़ी में लद्दाख के हानले में एशिया की सबसे बड़ी ‘इमेजिंग टेलीस्कोप मेस’ का उद्घाटन किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह भी ‘मेड इन इंडिया’ है।

इस उपलब्धि को ‘आत्मनिर्भर भारत का सामर्थ्य’ करार देते हुए उन्होंने श्रोताओं से कहा, ‘‘सोचिए, जिस स्थान पर माइनस 30 डिग्री सेल्सियस की ठंड पड़ती हो और जहां ऑक्सीजन तक का अभाव हो, वहां हमारे वैज्ञानिकों और स्थानीय उद्योग ने वो कर दिखाया है, जो एशिया के किसी देश ने नहीं किया।’’

प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आत्मनिर्भर होते भारत के ज्यादा-से-ज्यादा उदाहरण और ऐसे प्रयासों को साझा करने का आग्रह किया और त्योहारों के इस मौसम में इस अभियान को ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र के साथ और मजबूत करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें न सिर्फ भारत को आत्मनिर्भर बनाना है बल्कि अपने देश को नवोन्मेष के वैश्विक ‘पावरहाउस’ के रूप में मजबूत भी करना है।’’

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र संतोष

संतोष