भारत को पनडुब्बी निर्माण का केंद्र बनाने की योजना: जर्मन रक्षा कंपनी

भारत को पनडुब्बी निर्माण का केंद्र बनाने की योजना: जर्मन रक्षा कंपनी

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  • Publish Date - December 13, 2024 / 04:07 PM IST,
    Updated On - December 13, 2024 / 04:07 PM IST

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) भारतीय नौसेना को छह डीजल-विद्युत स्टील्थ पनडुब्बियों की आपूर्ति के लिए पांच अरब यूरो के सौदे की उम्मीद कर रही जर्मनी की प्रमुख रक्षा कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) ने शुक्रवार को कहा कि उसकी योजना नौसैनिक ‘प्लेटफॉर्मों’ की बढ़ती मांग के मद्देनजर भारत को पनडुब्बियों और युद्धपोतों के निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने की है।

टीकेएमएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओलिवर बर्कहार्ड ने कहा कि यदि उनकी कंपनी वृहद सौदे को पाने में सफल रही तो यह भारत के साथ दीर्घकालिक साझेदारी की शुरुआत हो सकती है, क्योंकि जर्मनी में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल समग्र द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के समर्थक हैं।

‘पीटीआई वीडियो’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बर्कहार्ड ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और संघर्ष के कारण नौसैनिक प्लेटफार्मों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और भारत पनडुब्बियों व युद्धपोतों के निर्माण के लिए एक केंद्र के रूप में उभरने की अच्छी स्थिति में है।

जर्मन जहाज निर्माता कंपनी ने भारत की सरकारी कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के साथ मिलकर 44,000 करोड़ रुपये (5 अरब यूरो) के पनडुब्बी सौदे के लिए संयुक्त रूप से बोली लगाई है, जिसे हाल के वर्षों में ‘मेक इन इंडिया’ की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक बताया जा रहा है।

टीकेएमएस-एमडीएल का मुकाबला स्पेन की रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी नवांतिया और लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड से है। रक्षा मंत्रालय प्रोजेक्ट 75 इंडिया (पी75-आई) के विजेता को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।

बर्कहार्ड ने पीटीआई वीडियो से कहा, “यह केवल इस अनुबंध के बारे में नहीं है। इससे (अनुबंध) परे, मुझे लगता है कि भारत पनडुब्बी उत्पादन का केंद्र बन सकता है। यह भी (हमारी) योजना का हिस्सा है।”

टीकेएमएस के सीईओ ने कहा कि उनकी कंपनी आवश्यक तकनीक भारत के साथ साझा करने और भारत के पनडुब्बी और युद्धपोत निर्माण के हब के तौर पर उभरने में मदद करने के लिए तैयार है।

बर्कहार्ड ने कहा कि भारत में पनडुब्बियों का निर्माण एक आकर्षक प्रस्ताव होगा, क्योंकि किसी भी अन्य यूरोपीय देश की तुलना में इनकी कीमत कम होगी।

उन्होंने सुझाव दिया कि क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत और जर्मनी के बीच गहन सहयोग महत्वपूर्ण है।

बर्कहार्ड ने यहां तक ​​कहा कि यदि भारत के पास टीकेएमएस-एमडीएल द्वारा निर्मित पनडुब्बियां होगी तो देश की सुरक्षा में बहुत वृद्धि होगी।

भाषा जोहेब पवनेश

पवनेश