भारत में डेंगू के टीके के लिए तीसरे चरण का पहला क्लीनिकल ट्रायल शुरू
भारत में डेंगू के टीके के लिए तीसरे चरण का पहला क्लीनिकल ट्रायल शुरू
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में डेंगू का टीका विकसित करने के लिए पहली बार तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी।
पैनेसिया बायोटेक ने भारत के स्वदेशी टेट्रावैलेंट डेंगू टीके ‘डेंगीऑल’ का विकास किया है। इस परीक्षण में पहले प्रतिभागी को आज पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस), रोहतक में टीका लगाया गया।
आईसीएमआर के सहयोग से, पैनेसिया बायोटेक भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 स्थानों पर चरण-3 का क्लीनिकल परीक्षण करेगा, जिसमें 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्क प्रतिभागी शामिल होंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा, ‘‘भारत के पहले स्वदेशी डेंगू टीके के लिए चरण-तीन के नैदानिक परीक्षण की शुरुआत डेंगू के खिलाफ हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। यह नागरिकों को इस बीमारी से बचाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और टीका अनुसंधान और विकास में भारत की क्षमताओं को रेखांकित करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आईसीएमआर और पैनेसिया बायोटेक के बीच इस सहयोग के माध्यम से, हम न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम उठा रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के अपने दृष्टिकोण को भी सुदृढ कर रहे हैं।’’
वर्तमान में, भारत में डेंगू के खिलाफ कोई एंटीवायरल उपचार या लाइसेंस प्राप्त टीका नहीं है। सभी चार सीरोटाइप के लिए एक प्रभावी टीके का विकास जटिल है। भारत में, डेंगू वायरस के सभी चार सीरोटाइप कई क्षेत्रों में संक्रमण फैला सकते हैं।
टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन (टीवी003/टीवी005) को मूल रूप से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच), अमेरिका द्वारा विकसित किया गया था। इसने विश्व में प्रीक्लीनिकल और क्लीनिकल परीक्षणों में आशाजनक परिणाम प्रदर्शित किए हैं।
पैनेसिया बायोटेक, स्ट्रेन प्राप्त करने वाली तीन भारतीय कंपनियों में से एक है, जो विकास के सबसे उन्नत चरण में है।
कंपनी ने पूर्ण विकसित टीका फॉर्मूलेशन विकसित करने के लिए इन स्ट्रेन पर बड़े पैमाने पर काम किया है और इस काम के लिए एक पेटेंट प्रक्रिया भी रखी है। भारतीय टीका फॉर्मूलेशन के चरण-1 और 2 के क्लीनिकल परीक्षण 2018-19 में पूरे हुए, जिससे आशाजनक परिणाम मिले।
पैनेसिया बायोटेक के आंशिक समर्थन के साथ मुख्य रूप से आईसीएमआर द्वारा वित्तपोषित इस परीक्षण में प्रतिभागियों के साथ दो साल तक अनुवर्ती कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय ने कहा कि यह पहल भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक के लिए स्वदेशी टीका विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आत्मनिर्भर भारत के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, पिछले दो दशकों में डेंगू के वैश्विक मामलों में लगातार वृद्धि हुई है। 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू वायरल बीमारी की सूचना है।
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा

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