राजोआना की मौत की सजा बदलने की याचिका राष्ट्रपति के समक्ष विचाराधीन है: केन्द्र ने न्यायालय से कहा

राजोआना की मौत की सजा बदलने की याचिका राष्ट्रपति के समक्ष विचाराधीन है: केन्द्र ने न्यायालय से कहा

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  • Publish Date - February 12, 2021 / 08:21 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) केन्द्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी बलवंत राजोआना की मौत की सजा बदलने के लिए दायर याचिका का मामला राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के समक्ष विचाराधीन है और वह इस पर फैसला लेंगे।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की एक पीठ को केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर तुषार मेहता ने बताया कि राजोआना ने सिखों के लिए अलग राज्य ‘खालिस्तान’ की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या की।

मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘ प्रक्रिया शुरू हो गई है और राष्ट्रपति इस पर फैसला लेंगे। यह वह मामला है, जिसमें दोषी पर खालिस्तान के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या करने का आरोप है।’’

उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थतियों में केन्द्र को छह सप्ताह का समय दिया जाए।

पीठ ने मेहता का अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को राजोआना की मौत की सजा बदलने के लिए दायर याचिका पर फैसला करने के लिए केन्द्र को ‘‘आखिरी मौका’’ देते हुए दो सप्ताह का समय दिया था।

सुनवाई के दौरान राजोआना की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था, ‘‘ यह व्यक्ति (राजोआना) पिछले 25 साल से जेल में कैद है और उसकी दया याचिका गत नौ साल से लंबित है। ’’

गौरतलब है कि राजोआना पंजाब पुलिस का पूर्व कांस्टेबल है और उसे 1995 में पंजाब सचिवालय के समक्ष हुए धमाके में शामिल होने का दोषी ठहराया गया है, जिसमें बेअंत सिंह और अन्य 16 लोगों की मौत हो गई थी।

शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी को केंद्र से कहा था कि वह राजोआना की मौत की सजा बदलने की याचिका पर 26 जनवरी तक फैसला ले।

अदालत ने केन्द्र को दो-तीन हफ्ते का समय देते हुए प्रक्रिया 26 जनवरी से पहले पूरी करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि 26 जनवरी अच्छा दिन है और यह उचित होगा अगर सरकार उससे पहले फैसला ले।

राजोआना के वकील ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल की दया याचिका वर्ष 2012 से लंबित है। वहीं शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति की मौत की सजा में आठ साल से अधिक देरी होती है, तो उसकी सजा बदली जा सकती है।

भाषा निहारिका शाहिद

शाहिद