नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) संसद की एक स्थायी समिति ने दो करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण के उद्देश्य से प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण को मार्च 2029 तक बढ़ाए जाने के बाद इसके तहत प्रदान की जाने वाली सहायता राशि को बढ़ाने की सिफारिश की है।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उल्का की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसदीय स्थायी समिति ने संकेत दिया कि योजना के तहत सहायता काफी समय से 1.2 लाख रुपये ही है, जिसके कारण अक्सर घर अधूरे रहने के मामले सामने आते हैं।
बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट में समिति ने कहा कि ‘‘सभी के लिए आवास’’ का लक्ष्य तब तक हासिल नहीं हो सकता जब तक कि लाभार्थियों को सही मूल्य और सही समय पर वित्तीय सहायता के मामले में ‘‘उचित मदद’’ प्रदान नहीं की जाती।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि दो लाख से अधिक भूमिहीन लाभार्थी अभी भी घर बनाने के लिए राज्य सरकारों से भूमि या सहायता मिलने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे लक्ष्य हासिल करने में देरी हो सकती है।
समिति ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत मैदानी क्षेत्रों के लिए प्रति मकान सहायता 1.2 लाख रुपये और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 1.3 लाख रुपये है और यह काफी समय से इतनी ही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बढ़ती महंगाई के कारण कच्चे माल, परिवहन लागत, श्रम लागत आदि से जुड़ी लागत जैसे कारकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में इतनी सहायता राशि से गरीब और जरूरतमंद लाभार्थियों के लिए पीएमएवाई-जी के तहत नया घर बनाना मुश्किल काम लगता है।’’
इस समिति के अनुसार ‘‘ऐसे उदाहरण भी हैं, जहां वित्त की कमी के कारण घर अधूरे रह गए हैं और लक्ष्य पीछे रह गया है।’’
समिति ने कहा कि अगले साल मार्च तक 2.95 करोड़ घरों के निर्माण के शुरुआती लक्ष्य के मुकाबले 22 अक्टूबर तक 2.66 करोड़ घरों का निर्माण ही हुआ है और 29 लाख घरों का निर्माण अभी पूरा होना बाकी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच वित्तीय वर्षों – 2024 से 2029 – में अतिरिक्त दो करोड़ घरों के निर्माण के लक्ष्य को सरकार ने मंजूरी दी है।
समिति ने कहा, ‘‘यह अत्यंत आवश्यक लगता है कि प्रति यूनिट सहायता की समीक्षा प्राथमिकता के आधार पर की जाए, विशेषकर जब योजना को मार्च 2029 तक बढ़ा दिया गया है।’’
समिति ने प्रति यूनिट सहायता में उचित वृद्धि के माध्यम से संशोधन की सिफारिश की।
समिति ने यह भी सिफारिश की है कि ग्रामीण विकास विभाग संबंधित एजेंसियों से, सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के भीतर घरों का निर्माण पूरा करने के लिए सभी तरीके खोजने का आग्रह करे।
समिति ने भूमिहीन लाभार्थियों को अपना घर बनाने के लिए भूमि सहायता मिलने पर चिंता व्यक्त की और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पीएमएवाई-जी के तहत पहचाने गए 5,73,311 (5.73 लाख) भूमिहीन लाभार्थियों में से 59 प्रतिशत या 3,60,837 (3.60 लाख) को घरों के निर्माण के लिए भूमि प्रदान की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भूमि के अभाव का मुद्दा पीएमएवाई-जी की प्रगति को प्रभावित कर रहा है और लक्ष्य पूरा होने में भी देरी कर सकता है।’’
समिति ने सिफारिश की है कि विभाग एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर एक नीति तैयार करे।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) को लेकर समिति ने कहा कि इसके तहत दी जाने वाली पेंशन 200 रुपये से लेकर 500 रुपये प्रति माह तक है, जो लंबे समय से चिंता का विषय है।
एनएसएपी केंद्र द्वारा 100 प्रतिशत वित्तपोषित एक योजना है जिसके तहत बीपीएल परिवारों में, घर के कमाने वाले मुख्य व्यक्ति की मृत्यु पर बुजुर्गों, विधवाओं, विकलांग व्यक्तियों और शोक संतप्त परिवारों को पेंशन दी जाती है ।
संसदीय समिति ने कहा ‘‘यह राशि बेहद कम है, जबकि पिछले कुछ वर्षों में जीवनयापन के खर्च में वृद्धि हुई है।’’
भाषा
मनीषा माधव
माधव