नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने मिशन वात्सल्य के कार्यान्वयन पर चिंता जताते हुए निधि का समुचित उपयोग नहीं किये जाने, प्रशिक्षित कर्मियों की कमी और रिक्तियों को रेखांकित किया है।
समिति ने कहा कि इस योजना के तहत समर्थित बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) की संख्या 2022-23 के 2,305 से बढ़कर 2024-25 में 3,005 हो गई है, लेकिन प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं की अनुपस्थिति और खराब निगरानी बाल संरक्षण सेवाओं में बाधा बन रही है।
शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट शुक्रवार को संसद में प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में, राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मानकों का निर्धारण और सभी सीसीआई के लिए वार्षिक ऑडिट प्रणाली स्थापित कर बाल देखभाल संस्थानों के पुनरुद्धार की सिफारिश की गई है।
समिति ने राष्ट्रीय पालन-पोषण संवर्धन अभियान शुरू करने का भी सुझाव दिया, जिसमें पालन-पोषण देखभाल प्रदान करने के इच्छुक परिवारों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वात्सल्य गृहों के निर्माण में धीमी प्रगति भी चुनौती है, जो व्यापक सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किये गए एकीकृत बाल देखभाल केंद्र हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में केवल 37 जिलों को ही धनराशि प्राप्त हुई है, जिससे बच्चों तक महत्वपूर्ण सहायता पहुंचने में देरी हो रही है।
समिति ने मौके पर निरीक्षण के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित बाल कल्याण ट्रैकिंग प्रणालियों को लागू कर जवाबदेही तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता भी बताई है।
समिति ने सरकार के प्रमुख महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम ‘मिशन शक्ति’ से जुड़े मुद्दों को भी उठाया।
इसमें बताया गया है कि 2024-25 के लिए आवंटित धनराशि का केवल 33.02 प्रतिशत ही 17 फरवरी 2025 तक खर्च किया गया।
हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिए बनाई गई ‘वन स्टॉप सेंटर’ (ओएससी) योजना में भी महत्वपूर्ण बजटीय कटौती देखी गई। संशोधित आवंटन घटाकर 173.81 करोड़ रुपये कर दिया गया और दिसंबर 2024 तक केवल 116.71 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश
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