संसदीय समिति ने एससी के खिलाफ अत्याचारों से निपटने में राज्यों की चूक पर चिंता जताई

संसदीय समिति ने एससी के खिलाफ अत्याचारों से निपटने में राज्यों की चूक पर चिंता जताई

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  • Publish Date - December 18, 2024 / 06:00 PM IST,
    Updated On - December 18, 2024 / 06:00 PM IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) संसद की एक समिति ने अनुसूचित जातियों (एससी) के खिलाफ अत्याचारों के मामलों को प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक तंत्र स्थापित करने में कई राज्यों की विफलता पर चिंता जताई है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता से संबंधित स्थायी संसदीय समिति ने लगातार प्रणालीगत खामियों को उजागर करते हुए सिफारिश की कि केंद्र सरकार को नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत आवश्यक तंत्र को लागू करने और मजबूत करने के लिए राज्य सरकारों से सक्रिय रूप से संपर्क करना चाहिए।

समिति ने बुधवार को लोकसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि केंद्रीय स्तर पर वित्तीय बाधाओं की अनुपस्थिति के बावजूद कई राज्य उपलब्ध धन का उपयोग नहीं कर रहे हैं या इन मुद्दों को हल करने के लिए आवश्यक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

समिति ने इस बात पर जोर दिया कि अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचारों से निपटने के लिए राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय संसाधनों के समर्थन से ‘ईमानदार और समन्वित’ प्रयासों की आवश्यकता है।

रिपोर्ट में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अंतर्गत कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में व्यापक चुनौतियों पर भी जोर दिया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एससी के लिए मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति योजना और ‘‘मशीनीकृत स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना’’ (नमस्ते) जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के तहत जारी की गयी राशि का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो पाया और इनमें तमाम त्रुटियां रहीं।

समिति ने परिचालन संबंधी कमियों को दूर करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नियमित समीक्षा और राज्य स्तरीय कार्यशालाओं के आयोजन सहित अधिक सख्त निगरानी तंत्र की सिफारिश की है।

रिपोर्ट में मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों को फंड के इस्तेमाल और क्रियान्वयन लक्ष्यों को प्राप्त करने में लगातार पिछड़ने के लिए चिह्नित किया गया।

समिति ने जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए गैर-निष्पादित राज्यों पर सख्त शर्तें लगाने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया।

इसने सहकारी संघवाद के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन के लिए संसाधनों के अपने हिस्से का सक्रिय रूप से योगदान करना चाहिए।

समिति ने कल्याणकारी कार्यक्रमों के बारे में लोगों तक पहुंच और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी ध्यान आकृष्ट किया।

इसमें कहा गया कि कई पात्र लाभार्थी अपर्याप्त प्रचार के कारण अपने अधिकारों से अनभिज्ञ रहते हैं। समिति ने सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियानों को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया और बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा क्षेत्र भ्रमण की सिफारिश की।

भाषा सुरेश माधव

माधव