संजौली मस्जिद ध्वस्तीकरण के काम की गति धीमी : देवभूमि संघर्ष समिति

संजौली मस्जिद ध्वस्तीकरण के काम की गति धीमी : देवभूमि संघर्ष समिति

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  • Publish Date - October 22, 2024 / 07:50 PM IST,
    Updated On - October 22, 2024 / 07:50 PM IST

शिमला, 22 अक्टूबर (भाषा) नगर निगम आयुक्त की अदालत के आदेश पर संजौली मस्जिद समिति द्वारा मस्जिद की तीन मंजिलों के ध्वस्तीकारण का काम शुरू करने के एक दिन बाद मंगलवार को देवभूमि संघर्ष समिति ने दावा किया कि काम की गति ‘‘धीमी’’ है जो चिंता का विषय है।

अवैध संरचना के खिलाफ प्रदर्शन कर रही देवभूमि संघर्ष समिति (डीएसएस) के सह-संयोजक मदन ठाकुर ने कहा कि सोमवार को एक दिन के काम में केवल चार चादरें हटाई गईं।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस गति से ध्वस्तीकारण का काम जारी है वह चिंता का विषय है। अगर अवैध संरचना को गिराने के लिए मस्जिद समिति के पास धन नहीं है तो वह सनातनियों को बुला सकती है और हम एक रुपया भी नहीं लेंगे। हम अपने घरों से अपना खाना भी लाएंगे और मलबा भी वहां नहीं छोड़ेंगे।’’

उन्होंने मस्जिद समिति द्वारा किए जा रहे ध्वस्तीकारण कार्य को ‘‘नौटंकी’’ करार दिया।

उन्होंने कहा कि इस मामले में भरोसा नहीं किया जा सकता और ‘‘सनातनी लोगों को उनका सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से बहिष्कार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि जनता राज्य की कांग्रेस सरकार की भूमिका भी देख रही है।

वक्फ बोर्ड की हरी झंडी के बाद सोमवार को ध्वस्तीकारण शुरू हुआ। नगर निगम आयुक्त की अदालत के पांच अक्टूबर के आदेश के बाद ध्वस्तीकारण का काम शुरू हुआ जिसमें वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद समिति के अध्यक्ष को दो माह के भीतर अपने खर्च पर पांच मंजिला ढांचे की तीन मंजिलों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था।

कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच छत को हटाने के साथ ध्वस्तीकारण शुरू हुआ।

मस्जिद प्रबंध समिति के अध्यक्ष मुहम्मद लतीफ ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने छत हटाने का ठेका दिया है जो अक्टूबर में किया जाएगा और न्यायालय द्वारा दिए गए समय में ढांचे को ध्वस्त कर दिया जाएगा या हम अधिक समय मांगेंगे क्योंकि धन की कमी एक मुद्दा है।’’

लतीफ ने कहा, ‘‘धन मुख्य मुद्दा है क्योंकि न तो जनता और न ही सरकार संरचना को ध्वस्त करने के लिए राशि देगी और मस्जिद समिति को अपने सीमित संसाधनों से खर्च वहन करना होगा।’’

लतीफ उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जिसने 12 सितंबर को नगर निगम आयुक्त की अदालत के समक्ष एक ज्ञापन प्रस्तुत किया था। ज्ञापन में मस्जिद की अवैध मंजिलों को ध्वस्त करने की पेशकश की गई थी। उससे एक दिन पहले, मस्जिद के एक हिस्से को ध्वस्त करने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान 10 लोग घायल हो गए थे।

विरोध प्रदर्शन का आह्वान देवभूमि संघर्ष समिति ने किया।

डीएसएस संयोजक भारत भूषण ने कहा कि अगर मस्जिद समिति के पास धन की कमी है तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे चाहें तो हम मुस्लिम समुदाय का भी सहयोग करने को तैयार हैं।’’

भूषण ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस फैसले का भी स्वागत किया, जिसमें नगर निगम आयुक्त की अदालत को शिमला में संजौली मस्जिद के कथित अवैध निर्माण के 15 साल पुराने मामले में आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला 2010 का है और पांच अक्टूबर को अपनी 46वीं सुनवाई में नगर निगम आयुक्त की अदालत ने वक्फ बोर्ड तथा संजौली मस्जिद समिति के अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वे दो माह के भीतर पांच मंजिला विवादित ढांचे की तीन मंजिलों को अपने खर्च पर गिराएं, लेकिन मामले में अंतिम फैसला अभी लिया जाना है।

हालांकि, ऑल हिमाचल मुस्लिम संगठन (एएचएमओ) ने कहा था कि वे इस आदेश को अपीली प्राधिकरण की अदालत में चुनौती देंगे और मामले को उच्चतम न्यायालय में ले जाएंगे।

इससे पहले, एएचएमओ के राज्य प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने एक बयान में कहा कि जिन लोगों ने आवेदन दिया है, उनके पास ऐसा कोई भी आवेदन देने का अधिकार नहीं है और नगर निगम आयुक्त की अदालत का आदेश तथ्यों के विपरीत है।

उन्होंने कहा कि भूमि वक्फ बोर्ड की है, मस्जिद 125 साल पुरानी है और मंजिलें अवैध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नक्शों की मंजूरी का मामला अधिकारियों के पास लंबित है लेकिन नगर निगम अदालत ने मंजिलों को गिराने का आदेश दिया है।

उन्होंने कहा कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है, मस्जिद 125 साल पुरानी है और इसकी मंजिलें अवैध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नक्शों की मंजूरी अधिकारियों के पास लंबित है, इसके बावजूद नगर निगम आयुक्त की अदालत ने मंजिलों को गिराने का आदेश दिया।

भाषा खारी अविनाश

अविनाश