जम्मू की 43 विधानसभा सीट पर 68 फीसदी से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त

जम्मू की 43 विधानसभा सीट पर 68 फीसदी से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त

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  • Publish Date - October 9, 2024 / 07:37 PM IST,
    Updated On - October 9, 2024 / 07:37 PM IST

जम्मू, नौ अक्टूबर (भाषा) जम्मू क्षेत्र की 43 विधानसभा सीट पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लगभग सभी उम्मीदवारों सहित 68.53 फीसदी प्रत्याशी अपनी जमानत राशि भी नहीं बचा पाए।

ये उम्मीदवार कुल वैध वोटों का न्यूनतम छठा हिस्सा हासिल करने में नाकाम रहे, जिससे इनकी जमानत राशि जब्त हो गई।

निर्वाचन आयोग की ओर से जारी क्षेत्रवार नतीजों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी), शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और नेशनल पैंथर्स पार्टी के दोनों गुटों के कई उम्मीदवारों के साथ-साथ कांग्रेस के आठ तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रत्याशी की भी जमानत जब्त हो गई।

नतीजों के अनुसार, जम्मू क्षेत्र की 43 विधानसभा सीट पर किस्मत आजमाने वाले कुल 356 उम्मीदवार में से 164 को ‘नोटा’ (उपरोक्त में से कोई भी नहीं) से भी कम वोट मिले। ‘नोटा’ किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं को सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का विकल्प देता है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के बाद से केंद्र-शासित प्रदेश में हुए पहले विधानसभा चुनावों में 49 सीट पर सीट दर्ज की।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के खाते में सबसे ज्यादा 42 सीट गईं। पार्टी को जम्मू क्षेत्र की सात सीट, जबकि कश्मीर घाटी की 35 सीट पर जीत हासिल हुई। वहीं, कांग्रेस जम्मू की एक और कश्मीर की पांच सीट पर विजयी रही। माकपा को एक सीट पर जीत मिली, जो कश्मीर क्षेत्र की है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। पार्टी को कुल 29 सीट पर जीत मिली, जो जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। ये सभी सीटें जम्मू क्षेत्र की हैं।

जम्मू क्षेत्र की 43 सीट के नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि चुनाव मैदान में उतरे 356 उम्मीदवारों में से 244 की जमानत जब्त हो गई।

थानामंडी से चुनाव लड़ने वाले कमर हुसैन और बनिहाल से किस्मत आजमाने वाले इम्तियाज अहमद शान को छोड़कर पीडीपी के 30 अन्य उम्मीदवारों में से कोई भी अपनी जमानत राशि नहीं बचा सका। हुसैन और शान क्रमशः 21,986 और 27,018 वोट पाकर अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे। पीडीपी के ज्यादातर उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले।

बनिहाल सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद शाहीन ने जीती, जिन्होंने 27,018 वोट हासिल करके कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री विकार रसूल वानी को 6,110 वोटों के अंतर से हराया। पीडीपी के शान तीसरे स्थान पर रहे, जबकि भाजपा के मोहम्मद सलीम भट और चार अन्य को अपनी जमानत गंवानी पड़ी।

पीडीपी के जिन प्रमुख उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, उनमें पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) फिरदौस अहमद टाक भी शामिल हैं, जिन्हें किश्तवाड़ में पड़े कुल 60,524 वोट में से केवल 997 वोट हासिल हुए। किश्तवाड़ सीट पर भाजपा की एकमात्र महिला उम्मीदवार शगुन परिहार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री सज्जाद किचलू को 500 से अधिक वोटों के मामूली अंतर से हराया। परिहार को 29,053 वोट प्राप्त हुए। उनके पिता और चाचा को नवंबर 2018 में आतंकवादियों ने मार डाला था।

बसपा ने जम्मू क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कठुआ से चुनाव लड़ने वाले संदीप मजोत्रा ​​को छोड़कर इनमें से किसी का भी प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। मजोत्रा ​​33,827 वोट हासिल कर कठुआ में दूसरे पायदान पर रहे। भाजपा के भरत भूषण ने उन्हें 12,117 वोटों के अंतर से शिकस्त दी।

बसपा के अधिकांश प्रत्याशियों को ‘नोटा’ से भी कम वोट मिले।

कुल मिलाकर, जम्मू क्षेत्र के 43 निर्वाचन क्षेत्रों में ‘नोटा’ के लिए 164 उम्मीदवारों से ज्यादा वोट पड़े।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके गुलाम नबी आजाद द्वारा सितंबर 2022 में गठित डीपीएपी अपने पहले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने में नाकाम रही। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अब्दुल माजिद वानी 10,027 वोट पाकर डोडा में चौथे स्थान पर रहे, जो जमानत बचाने के लिए जरूरी मतों से काफी कम था।

डोडा में जिला विकास परिषद के सदस्य मेहराज मलिक ने आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। ‘आप’ ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहली बार अपना खाता खोला। मलिक को 23,228 वोट मिले और उन्होंने भाजपा के गंजय सिंह को 4,538 वोटों के अंतर से हराया। डोडा में नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री खालिद नजीब सुहारवर्दी तीसरे स्थान पर रहे, जिन्होंने 13,334 वोट हासिल कर अपनी जमानत बचा ली।

‘आप’ और डीपीएपी के कई उम्मीदवारों की न केवल जमानत जब्त हो गई, बल्कि उन्हें ‘नोटा’ से भी कम वोट हासिल हुए।

विजयपुर में पूर्व मंत्री और जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के नेता मंजीत सिंह 13,161 वोट पाकर अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे। उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। विजयपुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा ने एक बार फिर जीत दर्ज की, जिन्हें कुल 32,859 वोट हासिल हुए। क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रत्याशी राजेश कुमार परगोत्रा 13,819 वोट के साथ दूसरे पायदान पर रहे।

हालांकि, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके और वे उन 164 प्रत्याशियों में शामिल हैं, जिन्हें ‘नोटा’ से भी कम वोट मिले।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में 123 निर्दलीय उम्मीदवारों में से अधिकांश की जमानत जब्त हो गई। हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के बागी उम्मीदवार-चौधरी मोहम्मद अकरम (सूरनकोट), प्यारे लाल शर्मा (इंदरवाल), रामेश्वर सिंह (बानी) और कांग्रेस के बागी प्रत्याशी सतीश शर्मा (छंब) अपनी-अपनी सीट जीतने में सफल रहे।

भाषा पारुल वैभव

वैभव