old pension scheme: पूरे देश में ‘पुरानी पेंशन बहाली’ की मांग उठ रही है, केंद्र सरकार यदि इन कर्मचारियों की इस मांग नहीं मानती है, तो उस स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल भी कर्मचारी बुला सकते है। अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में कितने कर्मचारी है इसका पता लगाने के लिए केंद्र सरकार में दो बड़े विभाग, रेलवे और रक्षा विभाग (सिविल) में स्ट्राइक बैलेट कराया गया था। इधर ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए सहमत हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 फीसदी कर्मी, हड़ताल पर चले जाएंगे। अब ज्वाइंट फोरम की बैठक में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तारीख का ऐलान किया जाएगा।
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एकजुट हो गए हैं। देश के ज्यादातर कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने के लिए राजी है। बैंक एवं इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मियों से भी सकारात्मक बातचीत हुई है। कर्मियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई।
बता दें राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर विभिन्न कर्मचारी संगठनों की तीन बड़ी रैलियां हो चुकी हैं। अब चौथी रैली दस दिसंबर को हो रही है। अब कर्मियों के पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प शेष है। 10 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से आए लाखों कर्मियों ने ‘ओपीएस’ को लेकर हुंकार भरी थी। कर्मचारियों ने इस दौरान कहा था कि वे हर हाल में पुरानी पेंशन बहाल कराकर ही दम लेंगे। कर्मचारियों ने कहा था कि वे सरकार को वह फार्मूला बताने को तैयार हैं, जिसमें सरकार को ओपीएस लागू करने से कोई नुकसान नहीं होगा। अगर इसके बाद भी सरकार, पुरानी पेंशन लागू नहीं करेगी तो ‘भारत बंद’ जैसे सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
ओपीएस के लिए गठित एनजेसीए की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा के अनुसार लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका नुकसान उठाना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या काफी बड़ी है। केंद्र के सभी मंत्रालय/विभाग, रक्षा कर्मी (सिविल), रेलवे, बैंक, डाक, प्राइमरी, सेकेंडरी, कालेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर, दूसरे विभागों एवं विभिन्न निगमों और स्वायत्तशासी संगठनों के कर्मचारी, ओपीएस पर एक साथ आंदोलन कर रहे हैं।
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