नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के आगरा स्थित आवास पर हमले के मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं देने के सभापति जगदीप धनखड़ के फैसले पर विरोध जताते हुए बृहस्पतिवार को समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य आज के लिए सूचीबद्ध कामकाज को निलंबित करने और इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे।
शून्यकाल के दौरान, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत विभिन्न मुद्दों पर, नियत कामकाज स्थगित कर चर्चा करने के लिए सात नोटिस मिले हैं।
नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो यह दर्शाता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है।
उच्च सदन में समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों जावेद अली खान और रामजी लाल सुमन ने कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा आगरा में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा के एक मौजूदा सदस्य के आवास पर कथित हमले के प्रयास के मुद्दे पर, नियत कामकाज स्थगित कर सदन में चर्चा की मांग करते हुए नोटिस दिया था।
सभापति ने सभी सात नोटिस को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह शून्यकाल में सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका देंगे। सभापति की इस व्यवस्था पर असंतोष जाहिर करते हुए सपा सदस्य आसन के समक्ष आ गए और अपनी मांग को लेकर हंगामा करने लगे। दूसरी ओर भाजपा सदस्यों ने ‘राणा सांगा जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
इसी बीच, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कुछ बोलना चाहा लेकिन सभापति ने उन्हें अनुमति नहीं दी। तब सपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राजद और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य विरोध जताते हुए सदन से बाहर चले गए।
बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्य सदन में बैठे रहे।
सपा के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के आगरा स्थित आवास पर बुधवार को कथित तौर पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला किया था। राणा सांगा पर रामजी लाल सुमन की कथित टिप्पणी से विवाद पैदा होने के कुछ दिन बाद यह हमला हुआ।
हाल में राज्यसभा सदस्य का एक कथित वीडियो आया, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि राणा सांगा ‘‘देशद्रोही’’ थे, जो इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को लाए थे।
राणा सांगा या संग्राम सिंह प्रथम 1508 से 1528 तक मेवाड़ के शासक थे।
भाषा मनीषा माधव
माधव