आम बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने राज्यसभा से किया बहिर्गमन

आम बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने राज्यसभा से किया बहिर्गमन

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  • Publish Date - July 24, 2024 / 03:29 PM IST,
    Updated On - July 24, 2024 / 03:29 PM IST

( तस्वीर सहित )

नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने बुधवार को आम बजट 2024-25 में बिहार और आंध्र प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा से बहिर्गमन किया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के इन आरोपों को ‘बेतुका’ करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि बजट भाषण में राज्यों का नाम न लेने का अर्थ यह नहीं है कि उन्हें नजरअंदाज किया गया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा पूर्व में पेश किए गए बजट में भी सभी राज्यों का कभी उल्लेख नहीं रहा।

सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस खारिज करने के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बजट का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘इसमें किसी भी राज्य को कुछ नहीं मिला। सबकी थाली खाली और दो की थाली में पकौड़े और जलेबी।’’

उन्होंने दावा किया कि बजट में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली और ओड़िशा सहित कई राज्यों को कुछ नहीं मिला।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने ऐसा बजट कभी नहीं देखा। यह सिर्फ किसी को खुश करने के लिए…कुर्सी बचाने के लिए… यह सब हुआ है। हम इसकी निंदा करते हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ‘इंडिया’ गठबंधन के दल इसकी निंदा करते हैं।’’

खरगे ने आरोप लगाया कि जिन क्षेत्रों में विपक्षी पार्टी चुनकर आई है या जहां जनता ने सत्तारूढ़ पार्टी को नकार दिया है, उन क्षेत्रों को बजट में नजरअंदाज किया गया है।

उन्होंने प्रश्न उठाया कि अगर बजट में संतुलन नहीं होगा तो विकास कैसे होगा?

इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हाल ही में संपन्न आम चुनाव में बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी। बिहार की जनता दल (यूनाईटेड) और आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के समर्थन पर यह सरकार टिकी है।

दोनों दल लंबे समय से अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं।

सीतारमण ने मंगलवार को पेश बजट में आंध्र प्रदेश के लिए 60,000 करोड़ रुपये की घोषणा की और दक्षिणी राज्य के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों से 15,000 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त करने के लिए समर्थन का वादा किया।

खरगे के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि बजट भाषण में अक्सर हर राज्य का नाम लेना संभव नहीं होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यों को नजरअंदाज किया गया है।

सीतारमण ने कहा कि उन्होंने बजट पेश करने के दौरान महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया लेकिन हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 76,000 करोड़ रुपये की लागत वाली वधावन बंदरगाह परियोजना (महाराष्ट्र) को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने कहा वह कई अन्य राज्यों का हवाला दे सकती हैं जिन्हें बड़ी परियोजनाएं मिली हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि भाषण में किसी राज्य का नाम नहीं है तो क्या इसका मतलब यह है कि भारत सरकार की योजनाएं, भारत सरकार के कार्यक्रम, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, एआईआईबी और इस तरह के संस्थानों से मिलने वाली विदेशी सहायता इन राज्यों में नहीं जाती हैं? वे एक तय कार्यक्रम के अनुसार जारी रहते हैं।’’

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के व्यय विवरण में मदवार राज्यों के आवंटन का जिक्र होता है।

उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे ऐसा विमर्श गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं कि बजट में राज्यों को कुछ नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष के नेता ने जो आरोप लगाए हैं, वह बेतुके हैं और अस्वीकार्य हैं।’’

सीतारमण अभी जवाब दे ही रही थीं कि विपक्षी दलों के सदस्य सदन में लौट आए।

इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने बजट में पश्चिम बंगाल को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। इस पर पलटवार करते हुए सीतारमण ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार कई केंद्रीय योजनाओं को राज्य में लागू नहीं कर रही है।

थोड़ी देर के लिए इस मुद्दे पर सदन में हंगामा भी हुआ।

सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों से कहा कि बजट पर चर्चा के लिए 20 घंटे का समय आवंटित किया गया और इस दौरान सभी सदस्य विस्तार से अपनी बात रख सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह चर्चा के समय को और बढ़ा देंगे और सभी को बोलने का मौका देने का प्रयास करेंगे।

इसके बाद शून्यकाल आरंभ हुआ और सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ी।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र मनीषा

मनीषा