विपक्षी सदस्यों ने असहमति नोट में कहा: वक्फ के मामलों में सरकारी दखल बहुत बढ़ेगा

विपक्षी सदस्यों ने असहमति नोट में कहा: वक्फ के मामलों में सरकारी दखल बहुत बढ़ेगा

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  • Publish Date - January 29, 2025 / 07:40 PM IST,
    Updated On - January 29, 2025 / 07:40 PM IST

नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक में ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ खंड को हटाने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि यह प्रावधान बहुत लंबे समय से अस्तित्व में है।

रिपोर्ट पर एक असहमति नोट में ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ को हटाने वाले खंड में प्रावधान को अंतिम समय में शामिल करना गैरजरूरी था क्योंकि इसका इम्तहान उन मामलों में होगा जहां संपत्ति विवाद है, जबकि ऐसी स्थिति में यह लागू नहीं होगा।

इस आशंका को दूर करने की कोशिश करते हुए कि संशोधित वक्फ कानून लागू होने के बाद मौजूदा वक्फ संपत्तियों की जांच की जाएगी, संसद की संयुक्त समिति ने सिफारिश की है कि ऐसी संपत्तियों के खिलाफ पूर्वगामी आधार पर कोई मामला फिर से नहीं खोला जाएगा, बशर्ते कि संपत्ति विवाद में न हो या सरकार की न हो।

कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने अपने असहमति नोट में कहा, ‘‘गलत नीयत वाला कोई व्यक्ति ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ से संबंधित संपत्तियों के किसी भी हिस्से पर मुकदमा दायर कर सकता है और परिणामस्वरूप इसे (संपत्ति को) संशोधित अधिनियम के तहत किसी भी संरक्षण से वंचित कर सकता है।’

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गोगोई ने कहा कि विधेयक देश में वक्फ और वक्फ संपत्तियों के कामकाज, नियंत्रण और प्रबंधन में अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप की अनुमति देता है।

उन्होंने कहा, ‘…इसका समुदाय के साथ-साथ स्वायत्त संस्थान पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जबकि यह संस्थान को संचालित करने के लिए आवश्यक है।’’

अपने असहमति नोट में द्रमुक सदस्य ए राजा ने कहा कि ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ का प्रावधान पैगंबर मोहम्मद के समय से मौजूद है और इसे हटाने का कोई भी कदम मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

शिवसेना (उबाठा) के सदस्य अरविंद सावंत ने वक्फ बोर्ड के सदस्यों के रूप में गैर-मुसलमानों को शामिल करने पर आपत्ति जताई।

सावंत ने रिपोर्ट पर अपने असहमति नोट में कहा, ‘‘ऐसे गैर-संबंधित सदस्यों के नामांकन से अराजकता पैदा होगी क्योंकि कल अन्य समुदाय सभी दूसरी निकायों में समानता की मांग कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि जहां तक ​​हिंदू परमार्थ संस्थाओं का सवाल है, यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि केवल हिंदू ही मंदिरों के लिए सदस्य और पदाधिकारी होंगे।

सावंत ने कहा, ‘‘वक्फ अधिनियम वक्फ संपत्तियों को बचाने और सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया था। हालांकि, वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन बिल्कुल विपरीत हैं। वक्फ संपत्तियों को बचाने के बजाय, वे आगे अतिक्रमण करने के लिए नए रास्ते खोलेंगे।’’

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्यों कल्याण बनर्जी और नदीमुल हक ने मूल अधिनियम में संशोधन पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया है कि यदि इस अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में किसी सरकारी संपत्ति की पहचान या वक्फ संपत्ति के रूप में घोषणा की जाती है, तो वह वक्फ संपत्ति नहीं होगी।

संशोधन में कहा गया है कि यदि संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने के संबंध में कोई प्रश्न उठता है तो इस मुद्दे को निर्णय के लिए राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कलेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को भेजा जाएगा।

टीएमसी नेताओं ने कहा, ‘‘सरकार का उद्देश्य अनधिकृत तरीके का सहारा लेकर अपनी संपत्ति बनाना नहीं है। जब सरकार अतिक्रमण करने वाले के रूप में कार्य करती है, तो प्रस्तावित संशोधन द्वारा ऐसे अनधिकृत कृत्यों को वैध नहीं बनाया जा सकता है।’’

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्य विजय साई रेड्डी ने 25 जनवरी को राज्यसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा देने से पहले अपना असहमति नोट जमा किया था।

भाषा हक हक पवनेश

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