नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) लोकसभा में बृहस्पतिवार को कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने हाल में अमेरिका से भारतीयों को बेड़ियां पहनाकर निर्वासित किये जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने इस पर कोई कड़ा विरोध नहीं दर्ज कराया।
सदन में ‘आप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक, 2025’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुधाकर सिंह ने कहा कि यह विधेयक अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिकों के साथ किये गए भेदभाव को सही ठहराता है।
उन्होंने कहा कि सरकार अब ऐसा कानून बना रही है जो भारत में भी विदेशियों के साथ इसी तरह के व्यवहार की अनुमति देगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल में क्या हुआ, अमेरिका ने भारतीय छात्रों को जंजीरों में जकड़ कर भारत भेजा। उनके साथ अपराधियों की तरह बर्ताव किया गया। 20 से अधिक छात्रों को वापस भेजा गया, उन्हें 15 घंटे तक बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया। लेकिन भारत सरकार ने न तो कोई ठोस कदम उठाया, ना ही कोई कड़ा विरोध दर्ज कराया।’’
राजद सांसद ने कहा कि विधेयक में एक प्रावधान सरकार को यह अधिकार देता है कि वह जिसे भी चाहे उसे इस कानून से छूट दे सकती है।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह छूट किसे मिलेगी? सत्ता से जुड़े लोगों को और अमीर निवेशकों को। यह कानून भेदभाव और भ्रष्टाचार का रास्ता खोलता है।’’
द्रमुक सांसद कनिमोई ने भी अमेरिका से भारतीयों को निर्वासित किये जाने के तौर-तरीकों का जिक्र करते कहा, ‘‘हमने हाल में देखा कि कैसे अमेरिका से भारतीयों को निर्वासित कर बेड़ियों में जकड़ कर भेजा गया। नये विधेयक के कुछ प्रावधान भारतीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों को विदेशों में और जोखिम में डालेंगे।’’
उन्होंने कहा कि यह विधेयक अत्यधिक सरकारी नियंत्रण की व्यवस्था करता है और मूल अधिकारों को कमजोर एवं न्यायिक निगरानी को कमतर करता है तथा मनमाना निर्णय लेने की संभावना से जुड़ी चिंता पैदा करता है।
द्रमुक सांसद ने सवाल किया, ‘‘क्या हम उन लोगों के लिए अपने दरवाजे बंद कर रहे हैं, जो अपनी और अपने बच्चों की जान बचाने के लिए घर-बार छोड़ भारत में शरण लेने आते हैं।’’
उन्होंने कहा कि विधेयक में सबसे बड़ी कमी यह है कि यह विदेशियों को आव्रजन अधिकारी के समक्ष सुनवाई का अधिकार नहीं देता है।
उन्होंने श्रीलंका की जेलों में बंद भारतीय मछुआरों के संबंध में कहा, ‘‘हम अपने मछुआरों को भी बचा नहीं पा रहे हैं। उन्हें हम गिरफ्तारी और हमले से नहीं बचा पा रहे हैं। श्रीलंकाई जेलों में कई महीनों से बंद अपने मछुआरों की रिहाई तक हम सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं।’’
कनिमोई ने कहा कि करीब 90,000 श्रीलंकाई तमिल भारत में पिछले करीब तीन दशक से रह रहे हैं लेकिन उनपर इस विधेयक में कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
कांग्रेस के सुखदेव भगत ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा, ‘‘पिछले साल झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए (भाजपा की ओर से) प्रचार करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि राज्य में बांग्लादेश के घुसपैठिये काफी संख्या में आ रहे हैं और इससे यहां (राज्य) के लोग अल्पसंख्यक हो जाएंगे।’’
शिवसेना (उबाठा) के अनिल यशवंत देसाई ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह आव्रजन अधिकारियों को बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार देगा और विदेशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
वहीं, जद(यू) की लवली आनंद ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि विधेयक अवैध प्रवासियों की पहचान कर उनके नियमन में मदद करेगा और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि देश के संसाधनों का उचित वितरण भारतीय नागरिकों को प्राथमिकता देते हुए हो।
तेलुगु देशम पार्टी के पी महेश कुमार ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अवैध आप्रवास भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि 2021 में 20 लाख आप्रवासी बिना किसी वैध दस्तावेज के भारत में रह रहे थे, जिनमें से ज्यादातर पड़ोसी देशों से आये थे।
शिवसेना के श्रीरंग आप्पा बारणे ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरोप लगाया कि कई विपक्षी पार्टियां घुसपैठियों का संरक्षण करती है और कुछ पार्टियां राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उनकी मदद भी करती हैं।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के गुरुमूर्ति मड्डीला ने विधेयक का समर्थन किया। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि यह संवैधानिक अधिकारों का हनन कर सकता है, विदेशी प्रतिभाओं के भारत आने को प्रभावित कर सकता है तथा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।
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