विपक्ष ने अभिभाषण को ‘दिशाहीन’ बताया; राजग ने कहा कि यह भविष्य के लिए दृष्टि पेश करने वाला

विपक्ष ने अभिभाषण को 'दिशाहीन' बताया; राजग ने कहा कि यह भविष्य के लिए दृष्टि पेश करने वाला

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 08:41 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 08:41 PM IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) विपक्ष ने शुक्रवार को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण को ‘‘दिशाहीन और झूठ का दस्तावेज’’ करार दिया, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा और सहयोगियों ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि यह ‘विकसित भारत’ के लिए दृष्टिकोण पेश करता है।

विपक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण से देश को एक दिशा मिलनी चाहिए थी, लेकिन यह सिर्फ सरकारी प्रचार का दस्तावेज है।

तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य सौगत रॉय ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह एक दिशाहीन भाषण है, इसमें देश को कोई नयी दिशा नहीं दिखाई गई। सरकार की पुरानी योजनाओं को दोहराया गया…भाषण में कुछ भी नहीं था।’’

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भाषण देश को कोई दिशा दिखाने में नाकाम रहा।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रपति के अभिभाषण से देश को दिशा मिलनी चाहिए थी, लेकिन यह सिर्फ सरकारी प्रचार का दस्तावेज था। उन्होंने कुंभ का जिक्र किया, लेकिन क्या सरकार की जिम्मेदारी तय नहीं होनी चाहिए? क्या उन्होंने महंगाई पर नियंत्रण के लिए कोई दृष्टिकोण दिया?’’

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘उन्होंने यह नहीं बताया कि 50 फीसदी गरीब लोग 64 फीसदी जीएसटी देते हैं और 10 फीसदी अमीर लोग सिर्फ पांच फीसदी जीएसटी देते हैं। उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया, जिसने लद्दाख में जमीन पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने धन असमानता के बारे में भी बात नहीं की।’’

समाजवादी पार्टी के प्रमुख और लोकसभा सदस्य अखिलेश यादव ने कहा कि राष्ट्रपति को अपने अभिभाषण में यह बताना चाहिए था कि महाकुंभ पर कितना पैसा खर्च किया जा रहा है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रपति को यह जानकारी देनी चाहिए थी कि कुंभ पर कितना पैसा खर्च किया गया है, केंद्र सरकार कितनी और सहायता देने जा रही है। केंद्र सरकार कह रही है कि 2,00,000 करोड़ रुपये का व्यापार होगा… क्या कुंभ का आयोजन व्यापार करने के लिए किया गया है?’’

सपा के राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने भाषण को ‘झूठ का दस्तावेज’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह झूठ का दस्तावेज है। देश की वास्तविक स्थिति इस भाषण में नहीं दिखाई देती। वैश्विक भूख सूचकांक में हम कहां खड़े हैं? हम पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तंजानिया जैसे देशों की श्रेणी में आते हैं।’’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्यसभा सदस्य पी. संदोष कुमार ने कहा, ‘‘भविष्य के लिए कोई दृष्टिकोण या योजना नहीं थी, केवल भारत सरकार द्वारा किए गए दावों को दोहराया गया।’’

राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि राष्ट्रपति को सरकार द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज़ को पढ़ने के बजाय अपना विचार व्यक्त करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि हमें एक नयी परंपरा शुरू करनी चाहिए, राष्ट्रपति को अपना विचार व्यक्त करना चाहिए। राष्ट्रपति को पता है कि बेरोजगारी का दर्द कितना गहरा है, सांप्रदायिक सद्भाव कितना कम है, आय असमानता इस देश को कैसे प्रभावित कर रही है… मणिपुर अब भी जल रहा है।’’

भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अभिभाषण का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘अभिभाषण में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि पिछले दस वर्ष में भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों को हासिल किया है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अमीर और गरीब के बीच की खाई को कम किया गया है… इन सभी बातों का उल्लेख राष्ट्रपति ने अपने भाषण में किया।’’

भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अभिभाषण में ‘विकसित भारत’ का दृष्टिकोण पेश किया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में 11 वर्ष में मोदी सरकार की उपलब्धियों के बारे में बात की गई है।

लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘इसमें गरीबों, किसानों, युवाओं, पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं और विकसित भारत बनाने के दृष्टिकोण के बारे में बात की गई है।’’

भाजपा के ही लोकसभा सदस्य संबित पात्रा ने अभिभाषण की सराहना की और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा राष्ट्रपति को ‘बेचारी’ कहने पर उनकी आलोचना की।

भाषा अविनाश धीरज

धीरज