(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिये कहा है कि 80 प्रतिशत तैयार हो चुकी उसकी ‘ब्राउनफील्ड’ अस्पताल (परियोजनाएं) तीन महीने के भीतर चालू हो जाएं और कर्मियों की भर्ती के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ ने यह भी कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक तक तैयार हो गयीं ‘ग्रीनफील्ड’ अस्पताल परियोजनाओं के लिए भी दिल्ली सरकार जरूरी धनराशि मंजूर करे और प्रदान करे ताकि ‘आखिरी चरण में पहुंच चुकीं’ इन परियोजनाओं के पूरा नहीं हो पाने के कारण पहले से लगाये गये पैसे की बर्बादी न हो।
उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली सरकार ‘गतिरोध नहीं होने दे सकती है। पीठ ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे पर भी दो सप्ताह के अंदर निर्णय लें कि इन अस्पताल को किस तौर-तरीके — सोसाइटी के जरिए या फिर सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) या अन्य किसी तरीके से चलाना है।
उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान के तहत हाथ में लिये गये इस मामले की सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये। उच्च न्यायालय ने यहां सरकारी अस्पतालों में गंभीर रोगियों के उपचार की सेवा के कथित अभाव को लेकर 2017 में इसका स्वत: संज्ञान लिया था।
उच्च न्यायालय ने इससे पहले एम्स के निदेशक को डॉ. एस के सरीन समिति की सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी लेने का निर्देश दिया था, जिसमेंरिक्त पदों, महत्वपूर्ण संकाय सदस्यों (चिकित्सा शिक्षकों) और बुनियादी ढांचे की कमी सहित स्वास्थ्य प्रणाली में कई कमियों की ओर इशारा किया गया था।
इस मामले में वकील अशोक अग्रवाल को न्याय मित्र नियुक्त किया गया है।
इस मामले में पहले दायर की गई स्थिति रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में 11 ‘ग्रीनफील्ड’ और 13‘ब्राउनफील्ड’ अस्पतालों का निर्माण कर रही है, जिन्हें विभिन्न प्रारूपों के तहत चलाया जाएगा, जैसे कि सरकारी या निजी अस्पताल के रूप में या पीपीपी मोड में।
भाषा
राजकुमार रंजन
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