बजट में सिर्फ दो राज्यों पर मेहरबानी; युवाओं, किसानों और गरीबों का ध्यान नहीं: कांग्रेस

बजट में सिर्फ दो राज्यों पर मेहरबानी; युवाओं, किसानों और गरीबों का ध्यान नहीं: कांग्रेस

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  • Publish Date - July 24, 2024 / 07:05 PM IST,
    Updated On - July 24, 2024 / 07:05 PM IST

नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने केंद्रीय बजट को ‘कुर्सी बचाओ और जुमला बजट’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि इस बजट में सिर्फ दो राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश पर मेहबरानी की गई है, लेकिन देश के अन्य राज्यों, किसानों और गरीबों की अनदेखी की गई है।

वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पर लोकसभा में सामान्य चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने यह दावा भी किया कि ‘कुर्सी को बचाओ और मित्रों पर लुटाओ’ इस सरकार का आखिरी नारा है।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज भले ही खुश हैं, लेकिन बदलने में ज्यादा समय नहीं लगता।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को ‘अग्निपथ’ योजना को खत्म करना चाहिए और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार को बेरोजगारी नजर नहीं आ रही है तो आगामी विधानसभा चुनावों में उसे नजर आने लगेगी।

हरियाणा के सिरसा से लोकसभा सदस्य सैलजा ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) ने हमारा घोषणापत्र पढ़ा है। वित्त मंत्री ने हमारा घोषाणापत्र लागू किया, हम धन्यवाद करते हैं।’’

कांग्रेस नेता ने तंज कसते हुए यह भी कहा, ‘‘इसे कुर्सी बचाओ बजट बोलें या जुमला बजट बोलें।’’

उन्होंने जनगणना में देरी का मुद्दा भी उठाया और सवाल किया, ‘‘सरकार जनगणना पर चुप्पी साधे हुए है, इस पर नीतीश कुमार जी (बिहार के मुख्यमंत्री) क्या कहना चाहेंगे?’’

सैलजा ने बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष वित्तीय सहायता के प्रावधान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘सिर्फ दो राज्यों पर मेहरबानी क्यों हुई? इसमें दो राज्यों के अलावा कुछ नहीं दिखा।’’

उनका कहना था कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो सहकारी संघवाद की बात करते थे, लेकिन अब लगता है कि यह शब्द भाजपा और इस सरकार की शब्दावली से निकल चुका है।

उन्होंने दावा किया कि इस लोकसभा चुनाव में लोगों को प्रधानमंत्री की गारंटी पर विश्वास नहीं हुआ, यही कारण है कि भाजपा 303 सीट से 240 पर पहुंच गई।

सैलजा ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और संभवत: जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि सरकार ने पहले ही हार मान ली है। बजट में इन राज्यों का जिक्र तक नहीं हुआ।’’

सैलजा ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार में हरियाणा से तीन-तीन मंत्री हैं। दुर्भाग्य है कि मेरे राज्य को कुछ नहीं दे पाए, यहां तक कि नाम भी लेना उचित नहीं समझा।’’

उनका कहना था, ‘‘वित्त मंत्री ने कहा कि बहुत सारी फसलों पर एमएसपी दिया गया है। लेकिन आपने स्वामीनाथ आयोग की सिफारिश वाला फार्मूला नहीं अपनाया है।’’

सैलजा ने आरोप लगाया कि देश में कृषि संकट है, लेकिन उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

सिरसा की सांसद ने कहा, ‘‘कांग्रेस की सरकार में किसानों का 72 हजार करोड़ रुपये माफ किया गया था, लेकिन आपने (भाजपा) अपने पूंजीपति मित्रों का 16 लाख करोड़ रुपये माफ किया।’’

उन्होंने दावा किया कि इस सरकार में ‘मित्रों पर मेहरबानी और किसान मजदूर से बेईमानी’ हो रही है।

सैलजा ने सरकार पर किसानों से वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘किसानों को आप उग्रवादी मत कहिए, लेकिन आप उन्हें उग्र होने पर मजबूर मत करिए।’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि किसान आंदोलन के दौरान 736 किसान ‘‘शहीद’’ हो गए, लेकिन उनके बारे में एक शब्द नहीं बोला गया।

सैलजा के अनुसार, बजट भाषण में मनरेगा का एक भी बार नाम नहीं लिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘जो कोविड में ग्रामीण भारत में सबसे बड़े रक्षक के रूप में उभरा है, आप उस मनरेगा को भूल गए।’’

उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन होनी चाहिए।

सैलजा का कहना था, ‘‘हम जिस दिन सरकार में आएंगे, उस दिन यह करेंगे।’’

उन्होंने भाजपा की वरिष्ठ नेता रहीं दिवंगत सुषमा स्वराज के एक पुराने कथन का हवाला देते हुए कहा कि आंकड़ों से पेट नहीं भरता, गरीब को रोजगार चाहिए।

कांग्रेस नेता ने कहा कि पांच किलोग्राम अनाज देने से गरीबी दूर नहीं होगी, बल्कि रोजगार देना होगा और महंगाई पर नियंत्रण करना होगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने केंद्रीय बजट की तीखी आलोचना की और कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था की गाड़ी ठीक नहीं कर पाई तो उसने सिर्फ ‘‘हॉर्न की आवाज बढ़ा दी’’।

लोकसभा में केंद्रीय बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने यह दावा भी किया कि सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई, स्वास्थ्य क्षेत्र और शिक्षा की अनदेखी की है।

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