Only men's do chhath puja here: यहां की महिलाएं नहीं पुरूष करते है छठ पूजा

Only men’s do chhath puja here: यहां की महिलाएं नहीं पुरूष करते है छठ पूजा, इस परंपरा के पीछे की कहानी बड़ी अनोखी, जानें…

Only men's do chhath puja here: यहां की महिलाएं नहीं पुरूष करते है छठ पूजा, इस परंपरा के पीछे की कहानी बड़ी अनोखी, जानें...

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Modified Date: November 15, 2023 / 03:29 PM IST
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Published Date: October 29, 2022 12:43 pm IST

Only men’s do chhath puja here: अभी बिहार में लोक आस्था का सबसे बड़ा महापर्व छठ देशभर के कई हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। तो वहीं आज छठ का दूसरा दिन है। महापर्व में छठ का व्रच रखने वाली महिलाएं आज खरना पूजा करती हैं। छठ पर्व को सबसे बड़ा और कठिन साधना का पर्व माना जाता है। इस त्योहार में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। छठ पर्व ज्यादातर महिलाएं ही करती है। छठ का व्रत बच्चों के लिए रखा जाता है। लेकिन बिहार के बांका में एक गांव ऐसा भी है जहां पुरूष अपनी संतान के लिए पूरी विधि विधान से पूजा पाठ करते है। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। जिसके बाद आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है।

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पुरूष इसलिए रखते है व्रत

Only men’s do chhath puja here: बिहार के बांका में केवल पुरुष ही छठ व्रत करते हैं। कहा जाता है कि इस गांव के पुरुष बेटियां खुशहाल हो, उसकी आयु लंबी हो इसके लिए छठ का व्रत करते हैं। दरअसल बांका के कटोरिया प्रखंड स्थित पिपराडीह गांव में कभी इस गांव में बेटी के पैदा होने के बाद उसकी मृत्यु हो जाती थी। तब गांव में धीरे-धीरे बेटियों की संख्या कम होने लगी। लोगों ने बेटियों को बचाने के लिए बहुत जतन किया। यहां तक की दूर-दूर तक इलाज और वैद्य-हकीम सब कराया। इसके बाद भी जब बेटियों की मृत्यु नहीं रूकी तो गांव वालों का एक बाबा ने सलाह दी कि गांव के पुरुष छठ पूजा करें तो यहां की बेटियां सुरक्षित रहेंगी और गांव में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। जिसके बाद से ये परंपरा शुरू हुई।

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ये व्रत करने से हर मनोकामना होती है पूरी

Only men’s do chhath puja here: अपनी बेटी के लिए व्रत रखने वाले पुरूषों ने बताया कि पूर्वजों की इस परंपरा का निर्वाह करने में एक विशेष आध्यात्मिक अनुभूति होती है। गांव में पुरुषों के छठ व्रत करने से ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पुरुषों के द्वारा छठ व्रत किये जाने से उनका गांव धन-धान्य से सालों तक भरा रहता है। इससे उनकी हर मनोकामना भी पूरी होती है। हालांकि अब गांव में शादी कर नई-नई आई दुल्हन छठ व्रत कर रही हैं। पहले पिपराडीह गांव में एक भी महिला व्रती छठ व्रत नहीं करतीं थी। जिन्हें किसी विशेष मन्नत से व्रत करना भी होता है। वे किसी अन्य गांव में जाकर मन्नत उतारती थी।

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रघुनाथपुर गांव में भी पुरुष ही करते हैं छठ

Only men’s do chhath puja here: वहीं बिहार के समस्तीपुर के मोरवा प्रखंड की ररियाही पंचायत के रघुनाथपुर गांव में भी केवल पुरुष ही छठ करते हैं। यहां छठ पर्व में महिलाएं उन्हें सहयोग करती हैं लेकिन व्रत के हर नियम का पालन करते हुए पुरुष व्रती अस्ताचलगामी और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यहां पुरुषों के छठ करने की वजह भी अलग है। गांव के लोगों का कहना है कि पुरुषों के छठ करने की परंपरा कब शुरू हुई, यह किसी को याद नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि छठ पूजा के लिए गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर नून नदी के किनारे जाना होता था। उस समय गांव में तालाब नहीं थे। उतनी दूर जाने में महिलाओं की परेशानी को देखते हुए बुजुर्गों ने तय किया कि छठ व्रत करने और नदी घाट तक जाने की परंपरा शादीशुदा पुरुष निभाएंगे, महिलाएं घर में रहकर प्रसाद की तैयारी करेंगी।

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