( फाइल फोटो सहित )
जयपुर, छह नवंबर (भाषा) बाघों के लिए विख्यात रणथंभौर राष्ट्रीय अभयारण्य में से पिछले एक साल के दौरान 75 में से 25 बाघ लापता हो गए।
मुख्य वन्यजीव वार्डन पवन कुमार उपाध्याय ने सोमवार को अभयारण्य के अधिकारियों को यह जानकारी दी।
यह पहली बार है जब एक साल में इतनी बड़ी संख्या में बाघों के लापता होने की आधिकारिक सूचना दी गई है। इससे पहले, जनवरी 2019 और जनवरी 2022 के बीच रणथंभौर से 13 बाघों के लापता होने की सूचना मिली थी।
वन्यजीव विभाग ने इतनी बड़ी संख्या में बाघों के लापता होने के मामले की जांच के लिए सोमवार को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। यह समिति निगरानी रिकॉर्ड की समीक्षा करेगी और पार्क अधिकारियों की ओर से कोई चूक पाए जाने पर कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
समिति का मुख्य ध्यान उन 14 बाघों को खोजने पर रहेगा जो इस साल 17 मई से 30 सितंबर के बीच नहीं देखे गए हैं।
चार नवंबर को जारी एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि रणथंभौर के निगरानी आकलन से बाघों के लापता होने की रिपोर्ट बार-बार सामने आई है।
इस आदेश में कहा गया है, ‘‘पार्क के फील्ड डायरेक्टर को कई नोटिस भेजे जाने के बावजूद, हालात में खास सुधार नहीं हुआ है। 14 अक्टूबर, 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार 11 बाघ एक साल से अधिक समय से लापता हैं, जबकि 14 अन्य के बारे में हाल ही में सीमित साक्ष्य मिले हैं।’’
इसके अनुसार, मौजूदा हालात को देखते हुए रणथंभौर में लापता बाघों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित की गई है।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उपाध्याय ने कहा, ‘समिति दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। हमने निगरानी में कुछ कमियां चिन्हित की हैं जिन्हें हम दूर करना चाहते हैं। हाल ही में, मैंने साप्ताहिक निगरानी रिपोर्ट एकत्र करना शुरू किया, जिससे पता चला कि ये बाघ ट्रैप कैमरे पर रिकॉर्ड नहीं किए गए थे। इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है।’
उल्लेखनीय है कि इस अभयारण्य में दबाव कम करने के प्रयासों में बफर जोन से गांवों को हटाना शामिल है, लेकिन इस दिशा में भी कोई खास प्रगति नहीं हुई है। आखिरी बार 2016 में गांवों को हटाया गया था।
अभयारण्य के अधिकारियों ने कहा है कि रणथंभौर में बाघों को उनकी अधिक संख्या के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उनमें इलाके को लेकर आए दिन लड़ाई होती है। यह अभ्यारण्य 900 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यहां शावकों सहित 75 बाघ हैं।
भाषा पृथ्वी मनीषा
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