नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनके और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच ‘विशेष जुड़ाव’ का एक कारण दार्शनिक ह्वेनसांग हैं जो एक समय गुजरात में उनके गांव में ठहरे थे और बाद में स्वदेश लौटने पर चिनफिंग के गांव में कुछ समय तक रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात अपने पहले पॉडकास्ट में ‘जेरोधा’ के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ संवाद में कही।
बातचीत के दौरान, जीवन के शुरुआती वर्षों के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि उनका जन्म उत्तर गुजरात में मेहसाणा जिले के छोटे से गांव वडनगर में हुआ था, जिसकी आबादी करीब 15,000 थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा गांव एक प्रकार से गायकवाड स्टेट (रियासत) था। गायकवाड स्टेट की एक विशेषता थी। हर गांव में लोग शिक्षा के प्रति बड़े आग्रही थे। एक तालाब होता था, पोस्ट ऑफिस होती थी, लाइब्रेरी होती थी। गायकवाड स्टेट का गांव होने का मतलब था कि यह व्यवस्था रहेगी ही।’’
मोदी ने बताया कि उन्होंने गायकवाड स्टेट के प्राथमिक विद्यालय में आरंभिक शिक्षा ली। उन्होंने कहा कि गांव में तालाब था जिसमें उन्होंने तैरना सीखा।
उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार में सबके कपड़े धोते थे, इसी कारण उन्हें तालाब जाने की इजाजत मिल जाती थी।
मोदी ने बताया कि इसके बाद उनकी पढ़ाई भागवत आचार्य नारायण आचार्य हाई स्कूल में हुई।
प्रधानमंत्री ने कामथ को बताया कि उन्होंने कहीं पढ़ा था कि चीनी दार्शनिक ह्वेनसांग उनके गांव में ठहरे थे। मोदी ने इसकी विस्तृत कहानी सुनाते हुए कहा कि ‘‘जब 2014 में मैं प्रधानमंत्री बना तो स्वाभाविक तौर पर दुनिया के अन्य नेताओं की तरह उनके पास चिनफिंग का भी फोन आया था।’’
चिनफिंग से हुई बातचीत का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने खुद बताया था कि वह भारत के अपने दौरे पर गुजरात जाना चाहते हैं।
मोदी ने कहा, ‘यह तो और अच्छी बात है। इसपर, उन्होंने (चिनफिंग ने) कहा था कि मैं आपके गांव वडनगर जाना चाहता हूं। मैंने कहा क्या बात है, आपने यहां तक का कार्यक्रम बना लिया है। उन्होंने कहा कि मेरा और आपका एक विशेष जुड़ाव है।’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पूछा क्या? तो उन्होंने बताया कि ह्वेनसांग, जो चीनी दार्शनिक थे, वह सबसे ज्यादा समय तक आपके गांव में ठहरे थे लेकिन जब वह चीन लौटे तो मेरे गांव में रहे। चिनफिंग ने कहा कि हम दोनों के बीच यही संबंध है।’’
साल 2014 के सितंबर में चिनफिंग भारत के दौरे पर आये थे। यह पहला मौका था जब भारत के किसी प्रधानमंत्री ने किसी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत दिल्ली के अलावा किसी दूसरे राज्य में किया था।
चिनफिंग का इस दौरे पर अहमदाबाद में भव्य स्वागत हुआ था और दोनों ही नेताओं ने साबरमती नदी के किनारे झूले पर और इसके अलावा कुछ अन्य जगहों पर साथ वक्त बिताया था।
सोशल मीडिया पर अपनी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की तस्वीर वाले ‘मीम्स’ के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने इसे संभवत: नजरअंदाज करते हुए कहा कि ऐसी चीजें होती रहती हैं और वह इस बारे में सोचने में अपना समय बर्बाद नहीं करते।
मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘ये सब तो चलता रहता है। मैं इसमें अपना समय बर्बाद नहीं करता।’
खाने के पसंदीदा व्यंजनों के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि वह खाने के कोई खास शौकीन नहीं हैं लेकिन विदेश में उन्हें जो कुछ भी परोसा जाता है, वह खा लेते हैं।
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई मुझे व्यंजन सूची देता है तो मैं यह तय नहीं कर पाऊंगा कि मुझे क्या खाना है।’
प्रधानमंत्री ने खुलासा किया कि वह रेस्तरां में खाना ऑर्डर करने के लिए अरुण जेटली की मदद लिया करते थे लेकिन एकमात्र शर्त यह होती थी कि वह शाकाहारी होना चाहिए।
भाषा ब्रजेन्द्र जितेंद्र सुभाष
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