One Nation One ELection Upadates : नई दिल्ली: ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की आगामी बैठक 8 जनवरी 2024 को निर्धारित है। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इस पहल को जटिल बताते हुए कहा कि इसे लागू करना आसान नहीं होगा। उन्होंने एएनआई से कहा, “यह कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है। संसदीय समिति जब बैठक करेगी, तो इस विषय से जुड़े सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।”
वामपंथी दलों ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए इसे संघीय ढांचे और राज्य विधानसभाओं के अधिकारों पर हमला करार दिया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई-एम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी में एक बैठक आयोजित की और इस राजनीतिक पहल पर गंभीर चर्चा की।
One Nation One ELection Upadates : वाम दलों ने संयुक्त बयान में कहा, “संविधान में प्रस्तावित संशोधन संघीय ढांचे को कमजोर करेंगे। यह राज्य विधानसभाओं और जनता के अधिकारों पर सीधा प्रहार है। विधानसभाओं के पांच साल के कार्यकाल को घटाना, केंद्रीकरण और लोकतांत्रिक इच्छाओं को दबाने का उपाय होगा।”
लोकसभा में प्रस्तुत इस विधेयक में पूरे भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव रखा गया है। इसे गहन अध्ययन और चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया है।
31 सदस्यीय समिति में लोकसभा और राज्यसभा के प्रमुख नेताओं को शामिल किया गया है। कांग्रेस के प्रियंका गांधी वाड्रा और मनीष तिवारी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, और भाजपा के पीपी चौधरी, बांसुरी स्वराज और अनुराग सिंह ठाकुर इसमें शामिल हैं।
One Nation One ELection Upadates : विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर गंभीर आपत्तियां जताई हैं। उनका कहना है कि यह पहल सत्तारूढ़ दल को अनुचित लाभ पहुंचा सकती है और चुनावी प्रक्रिया को केंद्रीकृत कर सकती है। साथ ही, इस कदम से क्षेत्रीय दलों की स्वायत्तता और प्रभावशीलता में कमी आ सकती है।
संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में इन तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और इस विवादास्पद पहल पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मतलब है कि पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
यह बैठक 8 जनवरी 2024 को आयोजित की जाएगी।
इसका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाना, सरकारी खर्च में कमी करना और प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।
उनका कहना है कि यह संघीय ढांचे और राज्य विधानसभाओं के अधिकारों को कमजोर कर सकता है।
इसे लागू करना जटिल है क्योंकि यह संविधान में संशोधन, विस्तृत योजना और व्यापक सहमति की मांग करता है।