गोवा तट के पास पोत में लगी आग से चालक दल के एक सदस्य की मौत, बुझाने का अभियान जारी: अधिकारी

गोवा तट के पास पोत में लगी आग से चालक दल के एक सदस्य की मौत, बुझाने का अभियान जारी: अधिकारी

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  • Publish Date - July 21, 2024 / 03:26 PM IST,
    Updated On - July 21, 2024 / 03:26 PM IST

पणजी, 21 जुलाई (भाषा) गोवा तट के पास नौसेना के एक व्यापारिक जहाज पर 19 जुलाई को लगी आग के अब नियंत्रण में होने के बावजूद इसे बुझाने का अभियान जारी है, लेकिन चालक दल के एक सदस्य की आग से मौत हो गई है। भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जनकारी दी।

बेंजीन और सोडियम साइनेट जैसे खतरनाक पदार्थ के साथ 1,154 कंटेनर ले जा रहे ‘एमवी माएर्स्क फ्रैंकफर्ट’ में गोवा तट से लगभग 102 समुद्री मील दूरी पर आग लग गई। यह घटना गुजरात के मुंद्रा से श्रीलंका के कोलंबो जाते समय घटी।

आईसीजी के उप महानिरीक्षक मनोज भाटिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि शनिवार को हेलीकॉप्टर के जरिये छिड़के गए सूखे रासायनिक पाउडर से आग पर काबू पाने में काफी हद तक मदद मिली।

उन्होंने कहा कि पोत के उस हिस्से में आग नहीं लगी, जिसमें खतरनाक सामग्री का भंडारण किया गया था।

भाटिया ने कहा, ‘‘आग बुझाने का अभियान अब भी जारी है। आग नियंत्रण में है। मैं यह नहीं कहूंगा कि इसे पूरी तरह से बुझा दिया गया है। चार पोत पहले से ही क्षेत्र में हैं और हेलीकॉप्टर भी नियमित उड़ानें भर रहे हैं। आईसीजी ने शनिवार को हेलीकॉप्टरों के माध्यम से सूखे रासायनिक पाउडर का छिड़काव कराया, जिससे आग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि 22 सदस्यीय चालक दल में से एक की मौत होने सूचना है और जहाज पर किसी को भी तत्काल कोई खतरा नहीं है।

भाटिया ने कहा, ‘‘आईसीजी जहाज को तट से थोड़ा दूर रख रहा है। हमने राज्य एजेंसियों को तेल प्रदूषण के कारण होने वाली किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। हमने सभी संबंधित राज्यों को आगाह किया है ताकि प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिए आपदा से जुड़ी आकस्मिक योजना को लागू किया जा सके।’’

उन्होंने कहा कि पिछले अनुभव से पता चला है कि ऐसी आग को पूरी तरह से बुझाने में तीन-चार दिन लगते हैं और तब भी क्षेत्र गर्म रहता है, जिस पर नजर रखने की जरूरत होती है।

भाटिया ने कहा कि अभी तक न तो किसी तरह का तेल प्रदूषण उत्पन्न हुआ है और न ही पोत को कोई नुकसान पहुंचा है।

भाषा संतोष पारुल

पारुल