ओमिक्रॉन वैरिएंट्स की होगी जल्द छुट्टी! ‘सुरक्षा कवच’ वैज्ञानिकों ने खोज निकाला.. जानिए

ओमिक्रॉन वैरिएंट्स की होगी जल्द छुट्टी! 'सुरक्षा कवच' वैज्ञानिकों ने खोज निकाला.. जानिए

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  • Publish Date - January 11, 2022 / 04:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए-नए वैरिएंट्स का कहर है। इस मौसम में सर्दी-जुकाम होना आम बात है लेकिन कोरोना के भी यही लक्षण होने की वजह से लोग तुरंत घबरा जा रहे हैं। हालांकि, एक नई स्टडी से आपको थोड़ी राहत मिल सकती है। स्टडी के मुताबिक, सर्दी-जुकाम से शरीर में कोविड से लड़ने की इम्यूनिटी बढ़ती है। ये स्टडी इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने की है।

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स- एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस ‘क्रॉस-प्रोटेक्शन’ का मतलब है कि वो आगे चलकर एक ऐसी वैक्सीन बन सकते हैं जो हर तरह के कोरोना वायरस पर काम करेगी। प्रोफेसर अजीत लालवानी ने कहा, ‘ये अब तक का सबसे स्पष्ट सबूत है कि कोरोना वायरस की वजह से होने वाले सर्दी-जुकाम से मिली टी कोशिकाएं सुरक्षात्मक भूमिका निभाती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘टी कोशिकाएं जिन प्रोटीन की पहचान करती हैं, वो बहुत कम म्यूटेट होते हैं, इसलिए अगर नई वैक्सीन में भी इन प्रोटीन को शामिल किया जाए तो अभी के और भविष्य में आने वाले अन्य वैरिएंट्स से बचा जा सकता है।’

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क्या कहती है स्टडी- वैज्ञानिकों का कहना है कि आम खांसी और छीकें टी कोशिकाओं (T cells) को बढ़ाती हैं। ये कोशिकाएं ही शरीर में कई तरह के वायरस को पहचानने का काम करती हैं। डॉक्टर रिया कुंडू ने द सन को बताया, ‘हमने पाया कि पहले से मौजूद टी कोशिकाओं के उच्च स्तर से कोविड संक्रमण से बचा सकता हैं। ये एक महत्वपूर्ण खोज है लेकिन ये सुरक्षा का केवल एक रूप है और सिर्फ इसी पर अकेले भरोसा नहीं किया जा सकता। कोरोना से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वैक्सीन की दोनों डोज और बूस्टर लगवाएं।’

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ये स्टडी 52 लोगों के ऐसे समूह पर की गई थी जिन्हें कोरोना के मरीजों के साथ रखा गया था। स्टडी में पाया गया कि इन लोगों में से सिर्फ आधे लोग ही कोरोना से संक्रमित हुए। ब्लड टेस्ट से पता चला कि इंफेक्शन से बचने वाले इन लोगों में टी कोशिकाएं बहुत अधिक मात्रा में थीं। इन लोगों को पहले कोरोना हो चुका था। वैज्ञानिकों के मुताबिक, हमारे आसपास कम से कम चार तरह के कोरोना वायरस हैं जो नियमित रूप से लोगों को संक्रमित करते हैं। इनमें से किसी एक से आम सर्दी-जुकाम होता है।

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स्टडी से पता चलता है कि शरीर अब कोरोना वायरस की पहचान करने लगा है। एक संक्रमण को नष्ट करने वाली टी कोशिकाएं दूसरे संक्रमण पर भी काम करती हैं। टी कोशिकाएं वायरस के उन हिस्सों की तलाश करती हैं जो आसानी से म्यूटेट नहीं होते हैं। यही वजह है कि हमारी पुरानी वैक्सीन भी नए वैरिएंट पर असरदार साबित हो रही है, भले ही इससे मिली एंटीबॉडी कम प्रभावी हों।

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