ट्रक में 63 बच्चे मिलने का पुराना वीडियो उनके रोहिंग्या होने के गलत दावे के साथ किया जा रहा है शेयर

ट्रक में 63 बच्चे मिलने का पुराना वीडियो उनके रोहिंग्या होने के गलत दावे के साथ किया जा रहा है शेयर

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  • Publish Date - October 10, 2024 / 06:28 PM IST,
    Updated On - October 10, 2024 / 06:28 PM IST

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (पीटीआई फैक्ट चेक) पुलिस की मौजूदगी में ट्रक में बैठे बच्चों को एक-एक कर उतरते हुए दिखाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यूजर्स इस वीडियो को शेयर कर दावा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर में रोहिंग्या मुसलमानों को ले जा रहे एक ट्रक को पकड़ा गया है।

पोस्ट में यह भी दावा किया गया कि इन बच्चों ने बांग्लादेश से अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ की।

पीटीआई फैक्ट चेक की जांच में वायरल दावा फर्जी साबित हुआ।

वास्तव में यह वीडियो 2023 का है। उस समय महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक ट्रक में 63 बच्चे पाए गए थे। ये बच्चे कोल्हापुर के अजरा स्थित एक मदरसे में पढ़ते थे और गर्मी की छुट्टियां खत्म होने के बाद बिहार और पश्चिम बंगाल से वापस लौट रहे थे।

कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा संदेह जताए जाने के बाद पुलिस ने इस ट्रक को रोका था।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा, “महाराष्ट्र के कोल्हापुर में रोहिंग्या मुसलमानों को ले जा रहा एक ट्रक पकड़ा गया। ममता बनर्जी(पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) उन्हें बांग्लादेश से लाकर पूरे देश में फैला रही हैं। हम हिंदू कब जागेंगे? देश बहुत बड़े खतरे में है। सावधान! हिंदू बंधु सावधान रहें।’

इस वीडियो को कई अन्य यूजर्स समान दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।

दावे की सच्चाई जानने के लिए डेस्क ने वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल लेंस के जरिए रिवर्स सर्च किया। हमें इंडिया टीवी की वेबसाइट पर 18 मई 2023 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली।

रिपोर्ट में बताया गया कि 17 मई 2023 को कोल्हापुर में एक ट्रक में 63 बच्चे मिले थे। मामला सामने आने के बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी। पुलिस की जांच में पता चला कि सभी बच्चे पश्चिम बंगाल और बिहार के रहने वाले थे और कोल्हापुर के एक मदरसे में पढ़ते थे। गर्मी की छुट्टियों में सभी अपने घर गए थे और छुट्टियां खत्म होने के बाद एक साथ ट्रेन से कोल्हापुर पहुंचे थे जहां से उन्हें ट्रक में बैठाकर मदरसे ले जाया जा रहा था।

जांच के दौरान डेस्क को टीवी9 हिंदी की वेबसाइट पर भी इस घटना से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में कोल्हापुर के तत्कालीन डिप्टी एसपी मंगेश चव्हाण ने भी स्पष्ट किया था कि ये बच्चे कोल्हापुर के अजरा स्थित मदरसे में पढ़ते थे और गर्मी की छुट्टियां बिताकर अपने पैतृक गांव से वापस लौट रहे थे। सभी के पास उनके पहचान पत्र मौजूद थे।

जांच के अंत में डेस्क ने अजरा थाने के प्रभारी नागेश यमगर से संपर्क किया। उन्होंने पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क को बताया कि मामला पिछले साल का है।

उन्होंने पीटीआई को बताया, ‘‘ वीडियो वायरल होने के बाद सभी बच्चों का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ था। कोई रोहिंग्या नहीं था। सभी मदरसे में पढ़ने वाले छात्र थे।’’

पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क की अब तक की जांच से यह साफ है कि सोशल मीडिया पोस्ट में किया गया दावा फर्जी था और गलत सांप्रदायिक विमर्श के साथ वीडियो शेयर किया गया।

सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी दावे की सच्चाई या सत्यापन के लिए पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क के व्हाट्सएप नंबर +91-8130503759 से संपर्क करें।

पीटीआई फैक्ट चेक

साजन

पवनेश नरेश

नरेश