मंदिरों में प्रसाद: न्यायालय ने गुणवत्ता संबंधी याचिका पर विचार करने से इनकार किया |

मंदिरों में प्रसाद: न्यायालय ने गुणवत्ता संबंधी याचिका पर विचार करने से इनकार किया

मंदिरों में प्रसाद: न्यायालय ने गुणवत्ता संबंधी याचिका पर विचार करने से इनकार किया

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Modified Date: November 29, 2024 / 02:50 PM IST
Published Date: November 29, 2024 2:50 pm IST

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंदिरों में बांटे जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता पर नियमन की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए शुक्रवार को कहा यह मामला सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 नवंबर को कहा था कि कार्यपालिका अपनी सीमा के भीतर अपने कार्य का निर्वहन कर रही है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम वर्तमान याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि याचिका में की गई प्रार्थना सरकार के नीति क्षेत्र के अंतर्गत आती है।’’

इसने कहा, ‘‘हम वर्तमान याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि याचिका में जो अनुरोध किया गया है, वह सरकार की नीति के दायरे में आता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यदि याचिकाकर्ता चाहे तो वह उचित प्राधिकार के समक्ष निवेदन कर सकता है जिस पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।’’

याचिकाकर्ता के वकील ने विभिन्न मंदिरों में भोजन या प्रसाद खाने के बाद लोगों के बीमार पड़ने की खबरों का जिक्र करते हुए कहा कि जनहित याचिका प्रचार के लिए दायर नहीं की गई है।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘इसे केवल ‘प्रसादम’ तक ही सीमित क्यों रखा जाए? इसे होटलों से संबंधित भोजन, किराना (दुकानों) से हमारे द्वारा खरीदे जाने वाले खाद्य पदार्थों के लिए भी दायर किया जाए। वहां भी मिलावट हो सकती है।’’

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह मंदिरों में गलती होने का मामला नहीं है क्योंकि उनके पास आपूर्ति की गुणवत्ता की जांच करने के लिए साधनों की कमी है।

उन्होंने कहा कि हालांकि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के पास शक्तियां हैं, लेकिन उसके दिशानिर्देशों में दम नहीं दिखता और याचिका में केवल इसे विनियमित करने का अनुरोध किया गया है।

हालांकि, पीठ ने कहा कि यदि किसी मंदिर के संबंध में व्यक्तिगत मामले हों, तो संबंधित व्यक्ति संबंधित उच्च न्यायालय का रुख कर सकता है।

भाषा नेत्रपाल वैभव

वैभव

 

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