ओडिशा के नाबालिग अनाथ भाई-बहनों को सरकार से मदद की आस

ओडिशा के नाबालिग अनाथ भाई-बहनों को सरकार से मदद की आस

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  • Publish Date - October 3, 2024 / 02:26 PM IST,
    Updated On - October 3, 2024 / 02:26 PM IST

बेरहामपुर (ओडिशा), तीन अक्टूबर (भाषा) ओडिशा के गंजम जिले में अपने पिता की मृत्यु के बाद अनाथ हो चुके चार नाबालिग भाई-बहन अपने जीवनयापन के लिए राज्य सरकार की मदद की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

अनाथ हुए नाबालिगों में खुशी बेहरा (17), उसकी दो बहनें लुशी (15), मामाली (13) और भाई महाबीर (11) शामिल हैं जो गंजम जिले के भंजनगर कस्बे के रहने वाले हैं। उनके पिता सुबाला बेहरा (45) की 23 सितंबर को मौत हो गई थी। उनकी मां पुष्पा की पांच साल पहले मौत हो चुकी है। सुबाला एक दिहाड़ी मजदूर था और कुछ समय से बीमार था।

खुशी ने बताया कि पिता की मृत्यु के बाद उनकी दादी लक्ष्मी उनकी देखभाल कर रही हैं। मछली बेचने से होने वाली सीमित आय के कारण लक्ष्मी (70) अपने चार पोते-पोतियों का दैनिक खर्च वहन करने में असमर्थ हैं। इसके अलावा, उनका घर भी जीर्ण-शीर्ण हालत में है।

भाई-बहन भंजनगर के उपजिलाधिकारी अनिल कुमार सेठी से मिले और कुछ सरकारी मदद मांगी। सेठी ने तुरंत जिला रेड क्रॉस कोष से 10,000 रुपये मंजूर किए और भंजनगर के तहसीलदार को उनकी दुर्दशा का आकलन करने को कहा।

हालांकि ने कहा कि लक्ष्मी ने कहा कि रेड क्रॉस से मिलने वाली सहायता राशि उनके बेटे (सुबल) के अंतिम संस्कार पर खर्च की जाएगी।

इस बारे में पूछे जाने पर उपजिलाधिकारी ने कहा, ‘‘जिलाधिकारी से इस संबंध में चर्चा होने पर तहसीलदार से रिपोर्ट मिलने के बाद हम उनके पुनर्वास के लिए कदम उठाएंगे।’’

लक्ष्मी ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सरकार बच्चों की देखभाल करेगी क्योंकि वे अपने पिता की मृत्यु के बाद अनाथ हो गए हैं।’’

खुशी ने कहा, ‘लगभग पांच साल पहले हमारी मां की मृत्यु के बाद मेरे पिता हमारी देखभाल कर रहे थे। उनकी मृत्यु के बाद, अब हम अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं, क्योंकि हमारी बूढ़ी दादी हम सब का पेट भरने के लिए ज्यादा कमाने में असमर्थ हैं।’

बाल अधिकार कार्यकर्ता सुधीर साबत ने कहा ‘उनकी दादी बूढ़ी हो गई हैं और वह मछली बेचकर कमाई करने की स्थिति में नहीं हैं। चार भाई-बहन अब लगभग निराशा की स्थिति में हैं। जिला प्रशासन को उनकी देखभाल करनी चाहिए और उनकी पढ़ाई लिखाई का इंतजाम करना चाहिए।’’

भाषा सुरभि नरेश

नरेश