मुंबई। रेलवे ने अब जनरल डिब्बों के लिए बॉयोमेट्रिक सिस्टम को शुरू किया है। इस कदम से जनरल क्लास के यात्रियों को आसानी से सीट मिल जाएगी। ये ऐसे कोच हैं, जो अनारक्षित होते हैं। जो यात्री पहले आता है वही सीट में बैठ जाता है। रेलवे ने बॉयोमेट्रिक सिस्टम को फिलहाल वेस्टर्न रेलवे के मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन और बांद्रा टर्मिनस पर शुरू किया है।
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इसमें जनरल डिब्बों के लिए टिकट खरीद रहे यात्रियों को बायोमीट्रिक मशीन पर पर अपना फिंगरप्रिंट देना होगा, जिसके बाद उन्हें एक टोकन जेनरेट किया जाएगा। ये टोकन नंबर हर जनरल क्लास के कोच सीटों के नंबर के क्रम में अलॉट किए जाएंगे। इसके बाद यात्रियों को अपने टोकन नंबर के क्रम में एक लाइन में खड़े होना होगा। एक आरपीएफ स्टाफ एंट्री पॉइंट पर खड़ा होगा जो टोकन का सीरियल नंबर चेक करेगा और पैसेंजर को उसी ऑर्डर में कोच में आने देगा।
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इसको इसलिए लगाया गया है कि सीट को लेकर कोई मनमानी न कर सके। जनरल कोच के लिए यह व्यवस्था की गई है। कोच में सीट भरने के बाद भी किसी यात्री को चढ़ने से रोका नहीं जाएगा। बॉयोमेट्रिक टोकन के लिए 4 मशीनें लगाई गई हैं। बाकी 4 अहमदाबाद डिविजन के सूरत स्टेशन पर लगेगी। फिलहाल ये सेवा इन ट्रेनों में शुरु की गई है। अमरावती एक्सप्रेस, जयपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस, करनावति एक्सप्रेस, गोल्डन टेम्पल मेल, पश्चिम एक्सप्रेस,अवध एक्सप्रेस, महाराष्ट्र संपर्क क्रांति एक्सप्रेस।
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दलालों की हुई छुट्टी-यह सिस्टम यात्रियों को व्यवस्थित तरीके से बिठाने और जनरल कोच में सीट पर कब्जा कर बेचने वालों पर लगाम लगाने के लिए बनाया गया है। क्योंकि रेलवे को शिकायत मिली थी कि कुछ अराजक तत्व विशेष ट्रेनों में जनरल डिब्बे की सीट बेचने का रैकेट चला रहे हैं। वे पहले सीट पर कब्जा कर लेते हैं और फिर उसे यात्रियों को देने के एवज में मोटी रकम ऐंठते हैं।
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ऐसे करेगा काम यह सिस्टम-
अब जब कोई यात्री जनरल डिब्बे का टिकट खरीदेगा तो उसे पहले फिंगरप्रिंट स्कैन कराना होगा। इसके बाद 1 टोकन जनरेट होगा। रेलवे उतने ही टोकन जारी करेगा, जितनी कोच में सीटें होंगी। इसके बाद ट्रेन छूटने से पहले जनरल डिब्बे के यात्रियों की अलग से लाइन लगेगी। यह लाइन टोकन संख्या के सीरीयल के आधार पर होगी। RPF के लोग टोकन संख्या वेरिफाई करने के बाद यात्री को ट्रेन में बैठने देंगे।
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