नयी दिल्ली : चुनावी हार और दरकते जनाधार के बीच अब तक सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं और पार्टी से नेताओं के पलायन का सिलसिला जारी है। इस क्रम में नया नाम गुलाम नबी आजाद का है जिन्होंने करीब पांच दशक के बाद कांग्रेस को अलविदा कह दिया। इस साल मई में उदयपुर चिंतन शिविर के दौरान संगठन के भीतर ‘बड़े सुधारों’ की घोषणा के बाद भी नेताओं का पलायन नहीं थमा। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ होने से पहले आजाद ने शुक्रवार को इस्तीफ दे दिया।
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आजाद से पहले कपिल सिब्बल और अश्विनी कुमार जैसे नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ा था। कुछ महीनों पहले हार्दिक पटेल और सुनील जाखड़ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरपीएन सिंह ने कांग्रेस को अलविदा कहा था। उनसे पहले जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थामा था और वह फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।
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पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस छोड़ने वाले कई प्रमुख नेताओं में कई नाम ऐसे हैं जो कभी राहुल गांधी की ‘युवा ब्रिगेड’ का हिस्सा माने जाते थे। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले प्रमुख युवा नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला मार्च, 2020 में उस समय हुआ जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम लिया । नतीजा यह हुआ कि मध्य प्रदेश में 15 साल के बाद बनी कांग्रेस की सरकार 15 महीनों में ही सत्ता से बाहर हो गई।
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पिछले साल ही महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव कांग्रेस को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस के पाले में चली गईं। इससे पहले झारखंड में अजय कुमार, हरियाणा में अशोक तंवर और त्रिपुरा में प्रद्युत देव बर्मन जैसे युवा नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। अजय कुमार की अब कांग्रेस में वापसी हो चुकी है। कांग्रेस ने संगठन के समक्ष खड़ी इस चुनौती और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए ‘बड़े सुधारों’ की तरफ कदम भी बढ़ाया है।
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पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘‘इस समय कांग्रेस की विचारधारा के प्रति समर्पित हर नेता और कार्यकर्ता का यह कर्तव्य है कि वह पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम करे। सोनिया गांधी जी ने उदयपुर नवसंकल्प शिविर में सही कहा था कि अब कर्ज उतारने का समय है। इसी भावना को ध्यान में रखकर काम करना होगा।’’