नोएडा ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए एनसीएपी निधि का केवल छह प्रतिशत खर्च किया: सरकारी आंकड़े

नोएडा ने वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए एनसीएपी निधि का केवल छह प्रतिशत खर्च किया: सरकारी आंकड़े

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  • Publish Date - July 21, 2024 / 05:51 PM IST,
    Updated On - July 21, 2024 / 05:51 PM IST

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) भारत के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक नोएडा ने 2019 से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत प्राप्त 21.95 करोड़ रुपये में से केवल छह प्रतिशत का ही उपयोग किया है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि एनसीएपी के अंतर्गत शामिल 131 शहरों में से 19 ने आवंटित धनराशि का 50 प्रतिशत से भी कम इस्तेमाल किया है तथा चार शहरों ने तीन मई तक प्राप्त धनराशि का 25 प्रतिशत से भी कम इस्तेमाल किया है।

एनसीएपी 2019 में शुरू किया गया और यह स्वच्छ वायु लक्ष्य निर्धारित करने का भारत का पहला राष्ट्रीय प्रयास है। इसका लक्ष्य 2017 को आधार वर्ष मानकर 2024 तक पीएम10 (हवा में 10 माइक्रोमीटर या उससे कम आकार के कण) प्रदूषण में 20-30 प्रतिशत की कमी लाना है।

कुल 46 शहरों और शहरी समूहों ने कार्यक्रम के अंतर्गत प्राप्त धनराशि का 75 प्रतिशत से भी कम खर्च किया, जो या तो उसे सीधे पर्यावरण मंत्रालय से या 15वें वित्त आयोग के माध्यम से प्राप्त हुई।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा को आवंटित 21.95 करोड़ रुपये में से केवल 1.43 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया है।

बेंगलुरु ने 535.1 करोड़ रुपये में से केवल 68.37 करोड़ रुपये खर्च किए, नागपुर ने 132.6 करोड़ रुपये में से 17.71 करोड़ रुपये का उपयोग किया और विशाखापत्तनम ने प्राप्त 129.25 करोड़ रुपये में से 26.17 करोड़ रुपये खर्च किए।

निधि का कम उपयोग वाले अन्य शहरों में पुणे (26.44 प्रतिशत), गुलबर्गा (27.2 प्रतिशत), वसई-विरार (28.01 प्रतिशत), नासिक (28.21 प्रतिशत), कोल्हापुर (28.37 प्रतिशत), विजयवाड़ा (29.16 प्रतिशत) , अंगुल (29.95 प्रतिशत), जमशेदपुर (35.78 प्रतिशत), दिल्ली (37.33 प्रतिशत), अनंतपुर (38.39 प्रतिशत), फरीदाबाद (38.89 प्रतिशत), दुर्ग भिलाईनगर (42.31 प्रतिशत), वाराणसी (46.25 प्रतिशत) , रांची (48.73 प्रतिशत), और जालंधर (48.81 प्रतिशत) शामिल हैं।

पर्यावरण मुद्दों पर काम करने वाली संस्था ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ (सीएसई) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की। इसके अनुसार, कार्यक्रम की शुरूआत से अब तक 131 शहरों को आवंटित कुल 10,566 करोड़ रुपये में से 3 मई तक केवल 6,806 करोड़ रुपये (64 प्रतिशत) का ही उपयोग किया गया है।

भाषा शोभना सुभाष

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