जम्मू-कश्मीर में अब कश्मीरी पंडितों के प्रति कोई नकारात्मक रवैया नहीं: रूबल नागी

जम्मू-कश्मीर में अब कश्मीरी पंडितों के प्रति कोई नकारात्मक रवैया नहीं: रूबल नागी

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  • Publish Date - January 23, 2025 / 05:45 PM IST,
    Updated On - January 23, 2025 / 05:45 PM IST

श्रीनगर, 23 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के सामुदायिक नेताओं की समिति की सदस्य रूबल नागी ने बृहस्पतिवार को कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को घाटी में लौटने के बारे में निर्णय लेना होगा, क्योंकि कश्मीर के लोगों में उनके प्रति कोई नकारात्मक रवैया नहीं है।

कश्मीर घाटी के विभिन्न क्षेत्रों की पांच दिवसीय यात्रा के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में नागी ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि आज कश्मीरी लोगों में कश्मीरी पंडितों का स्वागत न करने को लेकर कोई नकारात्मक रवैया है। उनकी वापसी के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं और अब निर्णय उन्हें लेना है। उन्हें यह निर्णय करना है कि वे यहां आना चाहते हैं या नहीं।’’

उन्होंने कहा कि जहां तक ​​कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा का सवाल है, ‘‘घाटी में सब कुछ बहुत शांतिपूर्ण और अच्छा है।’’

जब उनसे पूछा गया कि कश्मीरी पंडितों के घाटी में लौटने की स्थिति में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एनसीएम ने क्या कदम उठाए हैं, उन्होंने कहा, ‘‘हमें सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो यही कहूंगा कि जो हो गया, उसे भूल जाना चाहिए और भविष्य में क्या होगा, इस पर ध्यान देना चाहिए। आज हम कोई कट्टर देश नहीं हैं, क्योंकि भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन सभी मिलजुल कर रहते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत समृद्ध हो रहा है, हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है, हम सड़कें और पुल बना रहे हैं। हमने महाराष्ट्र में समुद्र में विशाल पुल और अंडरपास बनाए हैं। हमें यह देखना होगा कि हम सामूहिक रूप से अपने देश को कैसे आगे ले जा सकते हैं।’’

भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर हाल में आई अमेरिका की एक समिति की रिपोर्ट के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए नागी ने कहा कि धर्म के नाम पर किसी की हत्या करना स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी कारण से किसी की भी हत्या करना स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि हिंसा या हत्या ऐसी चीज नहीं है जिसे माफ किया जा सके या माफ किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि कश्मीर में रहने वाले मुसलमानों को ऐसी चीजों का सामना नहीं करना पड़ा है, ऐसा नहीं है कि केवल हिंदुओं, पंडितों, सिखों या ईसाइयों को ही इसका सामना करना पड़ा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में काफी अच्छा काम हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि हत्या की घटनाओं में कमी आई है।

शांति स्थापना की पहल के लिए लोगों से समर्थन मांगते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को भी इस तरह की पहल में सरकार का समर्थन करने के लिए एक कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमेशा एक सामूहिक प्रयास होता है। हम सभी को जिम्मेदार होने की जरूरत है।’’

भाषा देवेंद्र सुभाष

सुभाष