नई दिल्ली। Castes of Hindu Gods and Goddesses : राजधानी दिल्ली के जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति ने हिंदू देवी-देवताओं पर एक विवादित बयान दिया है। दरअसल, JNU की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी का कहना है कि हिंदू देवी-देवता ऊंची जाति के नहीं हैं। उन्होंने सभी देवताओं की जाती को लेकर कहा है कि शिव भी SC/ST(शूद्र) के हो सकते हैं। उन्होंने कहा है कि मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार देवता उच्च जाति के नहीं हैं। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
मिली जानकारी के मुताबिक कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी ने ये विवादित बयान सोमवार को डॉ. बीआर अंबेडकर व्याख्यान श्रृंखला में डॉ. बी आर अंबेडकर के विचार जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड’ में व्याख्यान देते हुए कहा कि ”मनुस्मृति में महिलाओं को शूद्रों का दर्जा दिया गया है।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है।’ आगे उन्होंने कहा कि ‘औरतों को जाति अपने पिता या पति से मिलती है। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो है असाधारण रूप से प्रतिगामी है।’
कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी का कहना है कि ‘आप में से अधिकांश को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मनुष्य जाति के विज्ञान के हिसाब से जानना चाहिए। कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं है, सबसे ऊंचा क्षत्रिय है। भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं। उनके साथ सांप रहते हैं। वे बहुत कम कपड़े पहनते हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं।’
इसके साथ ही कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी ने माता लक्ष्मी के संबंध में कहा कि ‘माता लक्ष्मी, शक्ति यहां तक कि भगवान जगन्नाथ भी मनुष्य जाति के विज्ञान के अनुसार उच्च जाति से नहीं आते हैं। भगवान जगन्नाथ वास्तव में आदिवासी मूल से हैं। तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबासाहेब के विचारों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था।’
उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है, यह जीवन का एक तरीका है। और अगर यह जीवन का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं। गौतम बुद्ध हमारे समाज में अंतर्निहित, संरचित भेदभाव पर हमें जगाने वाले पहले लोगों में से एक थे।’