नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि तमिलनाडु को एक वित्तीय वर्ष में मनरेगा के तहत उत्तर प्रदेश से अधिक धनराशि दी गई है, जबकि इसकी जनसंख्या उत्तरी राज्य की 20 करोड़ की आबादी की तुलना में सात करोड़ ही है। इस पर द्रमुक के सांसदों ने आपत्ति जताई।
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने प्रश्नकाल में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत धनराशि जारी करने में कभी किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है।
पेम्मासानी ने यह भी कहा कि मनरेगा के तहत पश्चिम बंगाल को दिए गए धन के कथित दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं। पश्चिम बंगाल में योजना के क्रियान्वयन के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि राज्य में ‘कई चीजें गलत हुईं’।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले, धन का ‘दुरुपयोग’ हुआ।
मंत्री ने कहा, ‘‘हमने एक ऑडिट टीम राज्य में भेजी। उन्होंने 44 ऐसे काम पाए जिनमें अनियमितताएं थीं। उन्होंने 34 मामलों में पूरी वसूली की। अभी भी 10 अन्य काम पूरे किए जाने बाकी हैं। वित्तीय गड़बड़ी 5.37 करोड़ रुपये की थी। इसमें से उन्होंने 2.39 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। कुछ चीजों पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है।’’
पेम्मासानी ने कहा कि जैसे ही इन चीजों पर ध्यान दिया जाएगा, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य के संबंधित मंत्री के साथ बैठकर मुद्दों को सुलझाएंगे।
जब द्रमुक सदस्य कनिमोझी ने कहा कि तमिलनाडु पिछले पांच महीने से मनरेगा के तहत 4,034 करोड़ रुपये जारी होने का इंतजार कर रहा है, तो मंत्री ने कहा कि यह योजना मांग आधारित है और अगर भुगतान में 15 दिन से अधिक की देरी होती है, तो श्रमिकों को ब्याज सहित भुगतान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु को इस वित्त वर्ष में 7,300 करोड़ रुपये मिल चुके हैं, इससे पहले भी, सात करोड़ की आबादी वाले तमिलनाडु को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक मिले थे, जबकि उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ है और उसे करीब 10,000 करोड़ रुपये मिले थे।
मंत्री ने कहा, ‘‘पक्षपात का कोई सवाल ही नहीं है।’’
उनके उत्तर पर द्रमुक सदस्यों ने कड़ा विरोध किया।
ग्रामीण विकास मंत्री चौहान ने भी सरकार का बचाव करते हुए कहा, ‘‘चाहे तमिलनाडु हो या पश्चिम बंगाल, मोदी सरकार ने कभी किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है। सामग्री लागत सहित लंबित मनरेगा बकाया जल्द ही जारी कर दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संप्रग के तहत, 2006-07 से 2013-14 तक, पश्चिम बंगाल में 111 करोड़ मानव दिवस सृजित किए गए थे और 14,985 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी, जबकि हमने (राजग सरकार में) 239 करोड़ मानव दिवस सृजित किए हैं और पश्चिम बंगाल को 54,515 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।’’
मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस के सांसद आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सदस्य भी विरोध में शामिल हो गए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनसे अपनी सीटों पर लौटने का आग्रह किया, लेकिन हंगामा नहीं थमने पर सदन की कार्यवाही करीब 15 मिनट के लिए दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।
आसन के समीप नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से नाखुशी जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘प्रश्नकाल में अपने-अपने राज्यों के राजनीतिक एजेंडे पर बात करना, राज्यों की राजनीति करना और अपने एजेंडे के आधार पर प्रश्न पूछकर व्यवधान पैदा करना सदन के लिए उचित नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप सवाल पूछ सकते हैं, मंत्री की जवाबदेही तय कर सकते हैं, लेकिन राजनीतिक एजेंडों को यहां लाना सदन की मर्यादाओं के अनुरूप नहीं है।’’
बिरला ने विपक्षी दलों के सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘आप प्रश्नकाल नहीं चलाना चाहते, सदन में नियोजित तरीके से व्यवधान पैदा करना चाहते हैं।’’
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा
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