लाओस मानव तस्करी मामले की जांच के तहत एनआईए की कई राज्यों में छापेमारी

लाओस मानव तस्करी मामले की जांच के तहत एनआईए की कई राज्यों में छापेमारी

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  • Publish Date - June 28, 2024 / 08:55 PM IST,
    Updated On - June 28, 2024 / 08:55 PM IST

नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने लाओस मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामले में विभिन्न संदिग्ध व्यक्तियों की संलिप्तता की पहचान करने के लिए शुक्रवार को हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान में कई जगह पर छापेमारी की।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भारत से लाओस के ‘गोल्डन ट्रायंगल एसईजेड’ तक वंचित युवाओं की तस्करी में शामिल व्यक्तियों/ट्रैवल एजेंटों पर कार्रवाई के तहत एनआईए की कई टीम द्वारा दोनों राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी में पांच स्थानों पर गहन तलाशी ली गई।

इसमें कहा गया है कि तलाशी में डिजिटल उपकरणों और दस्तावेजों आदि सहित आपत्तिजनक सामग्रियां जब्त की गईं।

एनआईए ने बयान में कहा कि लक्षित स्थान मुख्य आरोपी बलवंत उर्फ ​​बॉबी कटारिया के सहयोगियों और कार्यालयों से जुड़े परिसर थे।

एनआईए की जांच से पता चला है कि संदिग्ध कथित तौर पर तस्करी के पीड़ितों को संभाल रहे थे और लाओस में एक साइबर धोखाधड़ी कंपनी में उनकी भर्ती का प्रबंधन भी कर रहे थे।

जांच एजेंसी ने कहा कि जांच के दायरे में आने वाला मानव तस्करी गिरोह गुरुग्राम और देश के भीतर और बाहर के अन्य क्षेत्रों से संचालित हो रहा था।

यह भारत से लाओस के ‘गोल्डन ट्रायंगल एसईजेड’ में पीड़ितों की भर्ती, परिवहन और स्थानांतरण से संबंधित था।

मूल रूप से गुरुग्राम पुलिस द्वारा दर्ज किए गए और इस महीने की शुरुआत में एनआईए द्वारा अपने कब्जे में लिये गए मामले की शुरुआती जांच से पता चला है कि जिन संदिग्धों के परिसर की शुक्रवार को तलाशी ली गई, वे दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान स्थित एमबीके ग्लोबल वीजा प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और आरोपी बलवंत उर्फ ​​बॉबी कटारिया के लिए काम कर रहे थे।

बयान में कहा गया है कि वे विदेशों में आकर्षक नौकरियों के वादे के साथ युवाओं को आकृष्ट करने में सहायक थे।

एनआईए ने कहा कि अंग्रेजी में दक्ष पीड़ितों को सोशल मीडिया चैनलों के जरिये लालच दिया गया और धोखे से लाओस भेज दिया गया, जहां उन्हें फर्जी कॉल सेंटर में काम करने के लिए मजबूर किया गया।

इसमें कहा गया है कि सहयोग करने से इनकार करने पर उनके साथ शारीरिक तौर पर दुर्व्यवहार किया गया और उनके यात्रा दस्तावेज ले लिये गए।

भाषा संतोष सुरेश

सुरेश