एनजीटी ने दिल्ली के तालाब के कथित अतिक्रमण को लेकर एनएचएआई को नोटिस जारी किया

एनजीटी ने दिल्ली के तालाब के कथित अतिक्रमण को लेकर एनएचएआई को नोटिस जारी किया

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  • Publish Date - October 22, 2024 / 09:54 PM IST,
    Updated On - October 22, 2024 / 09:54 PM IST

नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम जिले में एक संरक्षित तालाब पर अतिक्रमण करके राजमार्ग के कथित अवैध निर्माण को लेकर एनएचएआई के चेयरमैन और अन्य से जवाब मांगा है।

एनजीटी एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने एक समाचार पत्र की खबर का स्वतः संज्ञान लिया था। उक्त खबर में दावा किया गया था कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने गोयला खुर्द गांव में तालाब के ऊपर शहरी विस्तार सड़क दो का निर्माण किया है, जो दिल्ली जलाशय अधिनियम के तहत संरक्षित है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 16 अक्टूबर को दिए आदेश में कहा, ‘‘खबर में आरोप लगाया गया है कि एनएचएआई ने आवश्यक पर्यावरणीय प्रभाव आकलन किए बिना ही काम आगे बढ़ा दिया, जिससे स्थानीय जैव विविधता को खतरा पैदा हो सकता है और पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो सकता है… आरोप है कि निर्माण के कारण तालाब का 80 प्रतिशत हिस्सा पहले ही नष्ट हो चुका है।’’

पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि खबर में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन से संबंधित ‘महत्वपूर्ण मुद्दे’ उठाए गए हैं।

पीठ ने एनएचएआई के अध्यक्ष, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिवों, राष्ट्रीय आर्द्रभूमि प्राधिकरण और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट को प्रतिवादी या पक्षकार बनाया।

न्यायाधिकरण ने मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले न्यायाधिकरण के समक्ष हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब/प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जाए।’’

समाचार के अनुसार, गोयला खुर्द गांव में अतिक्रमण किया गया तालाब उन 1,000 से अधिक तालाबों की सूची में शामिल है जिन्हें संरक्षित किया गया है। खबर में कार्यकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि अतिक्रमण उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों के साथ-साथ आर्द्रभूमि नियमों का उल्लंघन है।

भाषा अमित माधव

माधव