एनजीटी ने लद्दाख पक्षी अभयारण्य के संरक्षण के लिए सीपीसीबी, अन्य को नोटिस जारी किया

एनजीटी ने लद्दाख पक्षी अभयारण्य के संरक्षण के लिए सीपीसीबी, अन्य को नोटिस जारी किया

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  • Publish Date - December 7, 2024 / 11:12 PM IST,
    Updated On - December 7, 2024 / 11:12 PM IST

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने लद्दाख पक्षी अभयारण्य को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता के मुद्दे पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव और अन्य से जवाब मांगा है।

एनजीटी ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने इस मुद्दे के बारे में मीडिया की एक खबर पर स्वतः संज्ञान लिया था।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 28 नवंबर को दिए आदेश में कहा, ‘‘खबर के अनुसार, अभयारण्य विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, पक्षियों के ठिकानों की कमी और मानवीय गतिविधियों के कारण गंभीर पर्यावरणीय खतरों का सामना कर रहा है।’’

पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।

खबर के अनुसार, अभयारण्य में तिब्बती स्नोकॉक (तीतर), हिमालयन ग्रिफॉन वल्चर और बार-हेडेड गूज समेत प्रवासी और स्थानीय पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके अलावा यह पक्षी अवलोकन, इकोटूरिज्म और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।

एनजीटी ने कहा, ‘‘यह समाचार जैव विविधता अधिनियम और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का संकेत देता है तथा यह पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाता है।’’

इसमें सीपीसीबी और लद्दाख प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिवों, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के जम्मू क्षेत्रीय कार्यालय और लेह के उपायुक्त को पक्षकार या प्रतिवादी बनाया गया है।

मामले में अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।

एनजीटी ने कहा, ‘‘परंपरागत रूप से कारगिल या शाम क्षेत्र के आसपास कम ऊंचाई पर पाए जाने वाले पक्षी अब लेह और पूर्वी लद्दाख के रोंग क्षेत्र के पास ऊंचे इलाकों में देखे जा रहे हैं। शहरीकरण के कारण लेह शहर में गौरैया की घटती मौजूदगी और 2024 में सर्दियों के आगंतुकों के प्रवास पैटर्न में 10-15 दिनों की देरी इन परिवर्तनों का उदाहरण है।’’

भाषा आशीष देवेंद्र

देवेंद्र