उत्तर प्रदेश सरकार सिलिका रेत खनन इलाकों में विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए : एनजीटी

उत्तर प्रदेश सरकार सिलिका रेत खनन इलाकों में विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए : एनजीटी

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  • Publish Date - December 2, 2024 / 07:47 PM IST,
    Updated On - December 2, 2024 / 07:47 PM IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को उन क्षेत्रों में विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करने का निर्देश दिया है, जहां निजी पट्टाधारक सिलिका रेत का खनन कर रहे हैं।

अधिकरण शंकरगढ़, परवेजाबाद, लालापुर, बांकीपुर, जनवा और धारा सहित प्रयागराज जिले के कुछ हिस्सों में अवैध सिलिका रेत खनन पर एक याचिका की सुनवाई कर रहा है।

याचिका में दावा किया गया है कि खनन की उपयुक्त प्रक्रिया का पालन किए बिना अनधिकृत खनन के कारण लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है और उन्हें सिलिकोसिस सहित कई बीमारियां हो रही हैं।

सिलिकोसिस फेफड़े से जुड़ी बीमारी है जो बड़ी मात्रा में सिलिका धूल के फेफड़े में प्रवेश करने के कारण होती है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 29 नवंबर के आदेश में, पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करने को लेकर 12 निजी पट्टाधारकों को मुआवजा देने का निर्देश दिया। पीठ ने 14 निजी पट्टाधारकों को सिलिका धुलाई संयंत्र में भूजल के अवैध दोहन के लिए जुर्माना भरने का भी आदेश दिया।

पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी हैं।

अधिकरण ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) संबद्ध विभागों के साथ समन्वय कर उन इलाकों में विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करने के लिए तत्काल कदम उठाये, जहां सिलिका रेत खानों का संचालन खनन पट्टा धारकों द्वारा किया जा रहा है।’’

अधिकरण ने संबंधित अधिकारियों को पीड़ित श्रमिकों के उपचार एवं रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक चिकित्सा बुनियादी ढांचे की तत्काल व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया।

उसने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को विस्तृत दिशानिर्देश तैयार करने का भी निर्देश दिया, जिनका पालन संबंधित वैधानिक नियामकों द्वारा सिलिका रेत खनन और सिलिका रेत धुलाई संयंत्रों के लिए अनुमति या सहमति प्रदान करते समय किया जाए।

भाषा सुभाष राजकुमार

राजकुमार