NGO community kitchen set up for Amarnath pilgrims : जम्मू और कश्मीर। अमरनाथ यात्रा हर शिव भक्त का सपना है। इस बार अमरनाथ यात्रा के लिए भक्तों की संख्या ज्यादा देखने को मिली है, जिसको देखते हुए तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए विभिन्न समितियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है, जिससे यात्रियों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो। यात्रियों के ठहरने से लेकर उनके भोजन और स्वास्थ सेवाओं का भी ध्यान रखा जाए। जम्मू और कश्मीर के उधमपुर में इंडस्ट्रीज एस्टेट, बट्टल बलियान में अमरनाथ तीर्थयात्रियों के लिए एक गैर सरकारी संगठन द्वारा एक लंगर सेवा (सामुदायिक रसोई) स्थापित की गई है।
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उधमपुर में जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर थर्ड क्षेत्र में लंगर स्थापित करने के लिए पिछले 4-5 दिनों से काम चालू है। अमृतसर की लंगर समितियों में से एक लंगर की सेवा का जिम्मा उधमपुर में इंडस्ट्रीज एस्टेट, बट्टल बलियान ने उठाया है। इनके द्वारा सामुदायिक रसोई स्थापित की गई है।
Jammu and Kashmir | A langar sewa (community kitchen) has been set up by an NGO for Amarnath pilgrims at Industries Estate, Battal Ballian, in Udhampur.
Amarnath Yatra began on July 1 and will end on August 31, 2023. pic.twitter.com/Bnwpeg5mqe
— ANI (@ANI) July 5, 2023
एक अधिकारी ने कहा कि ये कैमरे पूरे इलाके में चौबीसों घंटे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से नजर रखेंगे। इसके अलावा वहां पर चार बॉडी स्कैनर भी लगाए जाएंगे। जम्मू के भगवती नगर क्षेत्र में स्थित यात्री निवास में पहली बार एक वातानुकूलित सामुदायिक रसोई हॉल के अलावा आधार शिविर की सभी इमारतों और सेटअपों में क्लोज सर्किट फायर हाइड्रेंट सिस्टम भी होंगे।
कई वर्षों के बाद पहली बार, जम्मू-कश्मीर में 1 जुलाई से शुरू होने वाली पवित्र अमरनाथ यात्रा 2 महीने लंबी होगी, और इस बार अमरनाथ भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। अमरनाथ यात्रा के दौरान प्रत्येक भक्त को आराम, भोजन, चिकित्सा देखभाल और अन्य सुविधाएं प्रदान करने की तैयारी की जा चुकी है।
NGO community kitchen set up for Amarnath pilgrims : 62 दिवसीय यात्रा, जो 1 जुलाई को शुरू होती है और 31 अगस्त को समाप्त होती है, हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है जो अमरनाथ गुफा की यात्रा करते हैं, जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। इसकी शुरुआत पहलगाम में नुनवान और कश्मीर के गांदरबल जिले में बालटाल के प्राचीन रास्तों से होगी, जहां तीर्थयात्री अपनी पवित्र यात्रा पर निकलेंगे।