New Law In Saudi Arabia: तेल के पैसे से मालामाल खाड़ी देश सऊदी अरब भारतीय प्रवासी मजदूरों का पसंदीदा ठिकाना रहा है। सऊदी अरब दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां पर सबसे ज्यादा प्रवासी घरेलू वर्कर काम करते हैं। इनमें बड़ी तादाद में भारतीय नागरिक हैं। वहीं अब मजदूरों के साथ हो रही ना इंसाफी को लेकर सऊदी अरब एक नया कानून ला रहा है, जिसमें माइग्रेंट डोमेस्टिक वर्कर्स लॉ के लागू होने पर अमानवीय स्थितियों के लिए जिम्मेदार कफाला सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
बता दें कि, जो भी देशों के बॉर्डर फारस की खाड़ी से मिलते हैं, वे खाड़ी या गल्फ देश कहलाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा खाड़ी के 6 देशों सऊदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन में 55 लाख प्रवासी घरेलू वर्कर काम करते हैं। इनमें से केवल 4 देशों ने घरेलू वर्कर्स के लिए कानून पारित किया है। इनमें सऊदी अरब शामिल है जिसने काफाला सिस्टम में बदलाव किया है। वहीं आरटीआई ने जवाब में बताया था कि लगभग 10.34 मिलियन एनआरआई 2 सौ से ज्यादा देशों में रह रहे हैं। इनमें यूएई में लगभग साढ़े 3 मिलियन, सऊदी अरब में 2.59 मिलियन, कुवैत में 1.02, कतर में 74 लाख, ओमान में 7 लाख, जबकि बहरैन में सवा 3 लाख भारतीय है।
सऊदी अरब में साल 2024 के ताजा आंकड़ों के मुताबिक कुल 39,13,925 प्रवासी वर्कर थे जिसमें 11,81,581 महिलाएं हैं। ये वर्कर अक्सर शिकायत करते रहते हैं कि उनका उत्पीड़न हुआ है। घरेलू वर्कर के लिए काम की परिस्थितियां बहुत खराब हैं। वहीं अब सऊदी अरब ने कानून में बदलाव करके नया कफाला सिस्टम लागू किया गया। नए लॉ के तहत कामगारों से 10 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकता. साथ ही उन्हें एक साप्ताहिक अवकाश भी मिलेगा। स्पॉन्सर उनके डॉक्युमेंट्स, जैसे पासपोर्ट नहीं रख सकेगा। कुछ खास हालातों में वर्कर के पास ये हक होगा कि, वो काम छोड़ सके। हर साल उसे एक महीने की पेड लीव मिलेगी, साथ ही देश आने-जाने का खर्च भी एम्प्लॉयर ही उठाएगा।
New Law In Saudi Arabia: माना जा रहा है कि इसकी वजह से विदेशी मजदूरों का नुकसान हो रहा है। कफाला की किताबी परिभाषा को समझना चाहें तो ये स्पॉन्सरशिप सिस्टम है, जो फॉरेन वर्कर और उसके लोकल स्पॉन्सर के बीच होता है। इसमें एम्प्लॉयर को कफील कहा जाता है, जिसे कुवैत या बाकी गल्फ देशों की सरकार स्पॉन्सरशिप परमिट का हक देती है। कफील अक्सर कोई फैक्ट्री मालिक होता है। परमिट के जरिए ये विदेशी मजदूरों को अपने यहां बुला सकता है। बदले में वे मजदूर के आने-जाने, रहने और खाने का खर्च देते हैं।