भारत के सही कानूनी इतिहास को समझने की जरूरत : केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

भारत के सही कानूनी इतिहास को समझने की जरूरत : केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

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  • Publish Date - June 23, 2024 / 06:37 PM IST,
    Updated On - June 23, 2024 / 06:37 PM IST

चेन्नई, 23 जून (भाषा) केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने रविवार को देश के सही कानूनी इतिहास को समझने की जरूरत पर जोर दिया क्योंकि देश की कानूनी प्रणाली औपनिवेशिक शासकों के नजरिए से स्थापित की गई थी।

केद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मेघवाल ने यहां एक सम्मेलन में कहा कि औपनिवेशिक काल के दौरान भारत में बनाए गए कानूनों में तत्कालीन भारतीय लोकाचार और सामाजिक वास्तविकताओं की अनदेखी की गई तथा वे औपनिवेशिक शासकों की आवश्यकताओं के नजरिये पर आधारित थे।

केंद्रीय मंत्री ने यहां वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वंडालूर में ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील मार्ग’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में यह टिप्पणी की।

यह इस श्रृंखला का चौथा सम्मेलन है। इससे पहले यह सम्मेलन दिल्ली, गुवाहाटी और कोलकाता में आयोजित हुए थे, जिसमें उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधियों और छात्रों ने भाग लिया था।

मेघवाल ने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार ने गुलाम मानसिकता वाले पुराने कानूनों को हटाकर भारतीयता और न्याय की मूल भावना को समाहित करते हुए तीन नए कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – बनाए हैं। ये कानून एक जुलाई से पूरे देश में लागू होंगे।’’

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने कहा कि आजादी के लगभग आठ दशक बाद राष्ट्र को अपनी न्याय प्रणाली तथा औपनिवेशिक काल के कानूनों को बदलने की पहल की आवश्यकता है।

भाषा

शफीक प्रशांत

प्रशांत