मुंबई, नवी मुंबई जैसे शहरों में बचे हरित क्षेत्रों को संरक्षित करने की जरूरत : उच्चतम न्यायालय |

मुंबई, नवी मुंबई जैसे शहरों में बचे हरित क्षेत्रों को संरक्षित करने की जरूरत : उच्चतम न्यायालय

मुंबई, नवी मुंबई जैसे शहरों में बचे हरित क्षेत्रों को संरक्षित करने की जरूरत : उच्चतम न्यायालय

:   Modified Date:  September 27, 2024 / 09:15 PM IST, Published Date : September 27, 2024/9:15 pm IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई और नवी मुंबई जैसे शहरों में बचे हुए कुछ हरित क्षेत्रों को संरक्षित करने की जरूरत है।

बम्बई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको), नवी मुंबई द्वारा दायर अपील की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ये टिप्पणियां कीं।

उच्च न्यायालय ने ‘‘सरकारी खेल परिसर’’ के लिए नवी मुंबई में 20 एकड़ जमीन छोड़ने और इसे मौजूदा स्थल से 115 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले के माणगांव में एक दूरस्थ स्थान पर स्थानांतरित करने के महाराष्ट्र सरकार के 2021 के फैसले को रद्द कर दिया था।

भूमि 2003 में खेल परिसर के लिए निर्धारित की गई थी और 2016 में, योजना प्राधिकरण ने इसका एक हिस्सा आवासीय और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए एक निजी डेवलपर को आवंटित किया था।

उच्चतम न्यायालय ने एक संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘यह एक बहुचर्चित प्रथा है। सरकार, जो भी हरित क्षेत्र बचे है, उसे बिल्डरों को दे देती है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुंबई और नवी मुंबई जैसे शहरों में बहुत कम हरित क्षेत्र बचे हैं। आपको इन्हें संरक्षित करना होगा और बिल्डरों को नहीं देना होगा।’’

पीठ प्रथमदृष्टया यह जानकर आश्चर्यचकित रह गई कि राज्य स्तरीय खेल परिसर के लिए दी गई भूमि कुछ विकास कार्य के लिए दी जा रही है और प्रस्तावित परिसर को रायगढ़ जिले में स्थानांतरित किया जाना है।

पीठ ने हल्के-फुल्के अंदाज में पूछा कि ऐसे में स्वर्ण पदक विजेता कैसे निकलेंगे।

सिडको की ओर से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि खेल परिसर के निर्माण के लिए बीस एकड़ जमीन पर्याप्त नहीं है और इसके अलावा, राज्य ने वैकल्पिक स्थल पर जमीन चिह्नित की है।

उन्होंने कहा कि यह मामला शहरों के हरित क्षेत्रों से संबंधित नहीं है बल्कि यह नगर-नियोजन गतिविधियों से संबंधित है जिस पर उच्च न्यायालय ने फैसला किया है।

पीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई की तिथि 30 सितंबर तय की है।

उच्च न्यायालय ने दो जुलाई को राज्य सरकार के फैसले को रद्द करते हुए मामले पर तीखी टिप्पणियां की थीं।

भाषा देवेंद्र अविनाश

अविनाश

 

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