सर्वदलीय बैठक के दौरान मुद्दों को सोशल मीडिया मंच पर साझा करने के लिए राजग ने कांग्रेस को घेरा

सर्वदलीय बैठक के दौरान मुद्दों को सोशल मीडिया मंच पर साझा करने के लिए राजग ने कांग्रेस को घेरा

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  • Publish Date - July 21, 2024 / 10:18 PM IST,
    Updated On - July 21, 2024 / 10:18 PM IST

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) संसद के मानसून सत्र से पहले रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक की कार्यवाही की जानकारी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की ओर से सोशल मीडिया मंच पर साझा करने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों ने प्रमुख विपक्षी दल की आलोचना की और कहा कि उसे अगली बार ऐसी बैठक में ‘किसी अधिक अनुभवी’ नेता को भेजने पर विचार करना चाहिए।

दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सर्वदलीय बैठक में विभिन्न दलों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों को उसी वक्त सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा कर दिया। इसके लिए वह सत्ताधारी गठबंधन के निशाने पर आ गए।

राजग के प्रमुख सहयोगी जद (यू) के अध्यक्ष व सांसद संजय कुमार झा ने बाद में रमेश का नाम लिए बिना कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता सोशल मीडिया पर लाइव अपडेट पोस्ट कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘काश कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता ने संसदीय कार्यवाही की शुचिता का सम्मान किया होता।’

झा ने कहा, ‘आज बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में, मैं बिहार के मुद्दों पर जद (यू) की स्थिति पर प्रकाश डाल रहा था। इसके साथ ही कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ‘एक्स’ पर मेरे हवाले से लाइव अपडेट पोस्ट कर रहे थे।’

संसदीय कार्य मंत्री किरण रीजीजू ने भी इसकी आलोचना करते हुए संसदीय परंपराओं का सम्मान करने का आह्वान किया।

बैठक में शामिल रमेश ने दावा किया था कि संसद सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में जनता दल (यूनाइटेड) और वाईएसआर कांग्रेस ने क्रमश: बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की लेकिन ‘अजीब’ बात यह रही कि तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) इस मामले पर चुप रही।

बैठक जारी ही थी कि रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज सदन के नेताओं की सर्वदलीय बैठक में जद (यू) नेता ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की। वाईएसआर कांग्रेस नेता ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की। अजीब बात रही कि तेदेपा नेता इस मामले पर चुप रहे।’

रीजीजू ने झा की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी को संसदीय परंपराओं की शुचिता और प्रोटोकॉल को बनाए रखना चाहिए।’

भाजपा के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि इन सर्वदलीय बैठकों से जुड़े लोगों का एक खास औचित्य और ‘प्रोटोकॉल’ होता है।

उन्होंने कहा, ”मीडिया ब्रीफिंग के बाद विचारों का स्वतंत्र और स्पष्ट आदान-प्रदान होता है। लेकिन जयराम रमेश की टाइमलाइन पर एक नज़र डालें तो ऐसा लगता है कि वह कार्यवाही को लाइव पोस्ट कर रहे थे।’

मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘अगली बार, कांग्रेस को इन बैठकों के लिए किसी अधिक अनुभवी नेता को भेजने पर विचार करना चाहिए।’

रमेश के पोस्ट का एक राजनीतिक मकसद यह था कि बैठक में शामिल सरकार के दो सहयोगी दलों की मांगों को सामने लाया जाए और सरकार को घेरा जाए। जद (यू) और तेदेपा भाजपा की सहयोगी हैं और दोनों अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग लंबे समय से करती रही हैं। यह ऐसा मुद्दा है जो केंद्र सरकार के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है।

अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा वित्त आयोग की स्वीकार की गई सिफारिश विशेष दर्जे की संभावना को खारिज करती है।

कांग्रेस नेता रमेश ने भाजपा की एक अन्य सहयोगी पार्टी तेदेपा पर भी निशाना साधा और कहा कि एक तरफ बैठक में जहां वाईएसआर कांग्रेस ने विशेष दर्जे की मांग उठाई वहीं आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ तेदेपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली।

भाषा ब्रजेन्द्र नरेश

नरेश