जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अपना नेता चुनने के लिए नेकां विधायक दल की बैठक बृहस्पतिवार को

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अपना नेता चुनने के लिए नेकां विधायक दल की बैठक बृहस्पतिवार को

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  • Publish Date - October 9, 2024 / 09:45 PM IST,
    Updated On - October 9, 2024 / 09:45 PM IST

(तस्वीर के साथ)

श्रीनगर, नौ अक्टूबर (भाषा) नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) का विधायक दल जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अपना नेता चुनने के लिए बृहस्पतिवार को बैठक करेगा। हालांकि, पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री होंगे।

मंगलवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद नेकां 42 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। नेकां, कांग्रेस और माकपा के गठबंधन को 95 सदस्यीय सदन में 49 सीटें मिली हैं, जिससे पार्टी सरकार बनाने के लिए तैयार है।

पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल कल दोपहर साढ़े 12 बजे अपना नेता चुनने के लिए बैठक करेगा।’’

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल की बैठक के बाद गठबंधन के सहयोगियों की बैठक होगी, जिसमें सदन में गठबंधन के नेता का चुनाव किया जाएगा।

उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘इसके बाद हम सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राजभवन जाएंगे और उपराज्यपाल से शपथ ग्रहण के लिए समय तय करने को कहेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में नयी सरकार बन जाएगी।’’

हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सरकार का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के चयन पर अपने फैसले को सर्वोच्च करार दिया।

अपने बेटे के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कि गठबंधन मुख्यमंत्री का फैसला करेगा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक ने कहा, ‘‘मैंने जो तय किया है, वही होगा।’’

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में नेकां-कांग्रेस सरकार का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश के दोनों क्षेत्रों के बीच मतभेदों को कम करना और हिंदुओं में विश्वास पैदा करना होगा।

भाजपा के परोक्ष संदर्भ में फारूक अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें जम्मू और कश्मीर के बीच पैदा किए गए मतभेदों को कम करना होगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि वहां (जम्मू) के हिंदुओं को हम पर यह भरोसा हो कि हम उनके बारे में उसी तरह सोचेंगे जैसे कश्मीर के बारे में सोचते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों क्षेत्रों के बीच कोई भेदभाव नहीं करेंगे। इससे क्या फर्क पड़ता है कि उन्होंने हमें वोट नहीं दिया। उनकी समस्याओं का समाधान करना हमारा कर्तव्य है।’’

इस बीच, शेख अब्दुल रशीद उर्फ ​​इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी ने चुनाव जीतने के बाद अनुच्छेद 370 की बहाली के बारे में ‘‘चुप्पी’’ साधने के लिए उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा।

पार्टी के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वह चुनाव अभियान के इस मुख्य मुद्दे से भाग रहे हैं और अब नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की प्रशंसा करने लगे हैं।’’

वहीं, उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि जिन लोगों ने अनुच्छेद 370 को छीना, उन्हीं से इसकी बहाली की उम्मीद करना “मूर्खतापूर्ण” होगा, लेकिन उनकी पार्टी इस मुद्दे को जीवित रखेगी और इसे उठाती रहेगी।

अब्दुल्ला से जब पूछा गया कि सरकार गठन के बाद इस मामले पर उनकी पार्टी का क्या रुख होगा, तो उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “हमारा राजनीतिक रुख नहीं बदलेगा। हमने कभी नहीं कहा कि हम अनुच्छेद 370 पर चुप रहेंगे या अनुच्छेद 370 अब हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है।”

अब्दुल्ला ने कहा, “लेकिन हम इस मुद्दे को जिंदा रखेंगे। हम इस पर बात करते रहेंगे और उम्मीद करते हैं कि कल देश में सरकार बदलेगी, एक नयी व्यवस्था आएगी जिसके साथ हम इस पर चर्चा कर सकेंगे और जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ हासिल कर पाएंगे।”

इससे पहले दिन में, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नेकां-कांग्रेस सरकार अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित करेगी।

अब्दुल्ला ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि सरकार गठन के बाद पहली बैठक में मंत्रिमंडल, राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केंद्र पर दबाव डालने के वास्ते एक प्रस्ताव पारित करेगा। इसके बाद सरकार इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री के पास भेजेगी।’’

उन्होंने उम्मीद जतायी कि दिल्ली के विपरीत जम्मू-कश्मीर में सरकार सुचारू रूप से काम कर पाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे और दिल्ली के बीच एक फर्क है। दिल्ली कभी एक राज्य नहीं रहा। किसी ने दिल्ली को राज्य का दर्जा देने का वादा नहीं किया। जम्मू-कश्मीर 2019 से पहले राज्य था। हमसे प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया, जिन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में तीन कदम उठाए जाएंगे – परिसीमन, चुनाव और फिर राज्य का दर्जा।’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘परिसीमन हो गया, अब चुनाव भी हो गए हैं। इसलिए केवल राज्य का दर्जा देना बाकी है जिसे जल्द ही बहाल किया जाना चाहिए।’’

यह पूछे जाने पर कि जम्मू-कश्मीर सरकार तथा केंद्र के बीच समन्वय कितना जरूरी है, उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली से टकराव लेकर कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।

नेकां नेता ने कहा, ‘‘पहले सरकार बनने दीजिए। यह सवाल मुख्यमंत्री से पूछा जाना चाहिए। नयी दिल्ली के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध होने चाहिए। हम केंद्र के साथ टकराव करके किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं कर सकते।’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि हम भाजपा की राजनीति स्वीकार करेंगे या भाजपा हमारी राजनीति स्वीकार करेगी। हम भाजपा का विरोध करते रहेंगे लेकिन केंद्र का विरोध करना हमारी मजबूरी नहीं है।’’

भाषा शफीक अविनाश

अविनाश