नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारणयों में, संरक्षित वन की सीमांकित रेखा से कम से कम एक किलोमीटर के दायरे में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) होना चाहिए।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर खनन को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि ईएसजेड में किसी पक्के निर्माण की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों के मुख्य वन संरक्षक को ईएसजेड के भीतर मौजूद सभी निर्माणों की सूची तैयार करने और तीन माह के भीतर उसके समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
पीठ ने कहा,‘‘ इस काम के लिए अधिकारी उपग्रह से तस्वीरें प्राप्त करने अथवा ड्रोन से फोटोग्राफी कराने के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद ले सकते हैं।’’
उच्चतम न्यायालय ने यह निर्देश एक लंबित जनहित याचिका पर दिए। ‘टी एन गोडावर्मन बनाम यूओआई’ शीर्षक वाली यह याचिका वन संरक्षण के जुड़े मुद्दों पर है।
भाषा शोभना मनीषा
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