श्रीनगर, 12 मई (भाषा) श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के लिए मतदान से एक दिन पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के कथित उत्पीड़न और अवैध गिरफ्तारी को रोकने के लिए रविवार को निर्वाचन आयोग से हस्तक्षेप की मांग की।
श्रीनगर लोकसभा सीट से पीडीपी के उम्मीदवार वहीद परा ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक वरिष्ठ अधिकारी पर उन क्षेत्रों में कम मतदान के लिए निर्देश देने का आरोप लगाया है जहां पार्टी का मजबूत आधार है।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘मैं आपको श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के 13 मई को होने वाले चुनावों से पहले परेशान करने वाले घटनाक्रम के बारे में तत्काल और गंभीर चिंता के साथ लिख रही हूं। यह मेरे ध्यान में आया है कि केंद्र सरकार के नियंत्रण में राज्य प्रशासन, पीडीपी के मतदाताओं और समर्थकों को डराने-धमकाने की गतिविधियों में लगा हुआ है।’’
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में 1987 के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुखद है कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है, जब धांधली के कारण इस क्षेत्र को गहरा नुकसान झेलना पड़ा था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह उन खबरों से ‘‘बहुत परेशान’’ हैं कि सुरक्षा एजेंसियां पुलवामा और शोपियां जिलों में पीडीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापेमारी कर रही हैं और उन्हें परेशान कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी के सदस्यों, समर्थकों और कार्यकर्ताओं को बिना किसी कारण के मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया। उन्हें रैलियां आयोजित करने और मतदान को प्रोत्साहित करने के उनके प्रयासों के लिए दंडित किया जा रहा है। एक लोकतांत्रिक समाज में, यह जरूरी है कि चुनाव अधिकारी और राज्य अधिकारी दोनों राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा दें और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अफसोस की बात है कि इन क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति ऐसे सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है।’’
निर्वाचन आयोग को इसी तरह के एक पत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस उम्मीदवार के आगा रुहुल्ला मेहदी ने उन पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम गिनाए जिन्हें गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मौजूदा चुनाव अवधि के दौरान स्थानीय पुलिस द्वारा हाल में नेशनल कॉन्फ्रेंस के कई कार्यकर्ताओं की गैरकानूनी हिरासत के संबंध में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करने के लिए पत्र लिख रहा हूं। स्वतंत्र आवाजाही और सभा आयोजित करने के उनके मौलिक अधिकारों का यह खुला उल्लंघन न केवल लोकतंत्र के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है बल्कि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को भी कमजोर करता है।’’
मेहदी ने कहा कि इस तरह की ‘‘मनमानी हिरासत’’ लोकतंत्र में भाग लेने की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करती है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की प्रक्रिया को कमजोर करती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि विपक्षी दलों सहित सभी राजनीतिक दलों को उत्पीड़न या डराए धमकाए बिना चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का समान अवसर दिया जाए।’’
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘इसलिए, मैं निर्वाचन आयोग से इस गंभीर मामले के समाधान के लिए तत्काल और निर्णायक कदम उठाने का आग्रह करता हूं। हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता और शुचिता को हर कीमत पर सुरक्षित रखा जाना चाहिए और इन सिद्धांतों को कमजोर करने वाले किसी भी कृत्य का समाधान होना चाहिए।’’
मुफ्ती ने कहा कि लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में निर्वाचन आयोग चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखने और सभी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘हालांकि, अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र में (चुनावों में) देरी जैसी घटनाओं ने आयोग की निष्पक्षता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं और उन सबको प्रोत्साहित किया है जो जबरदस्ती और धमकी के माध्यम से चुनावी नतीजों में हेरफेर करना चाहते हैं।’’
पीडीपी प्रमुख ने कहा, ‘‘स्थिति वहां तक पहुंच गई है कि सुरक्षा प्रतिष्ठान 13 मई को चुनाव वाले क्षेत्रों में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं। यह जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी द्वारा सरेआम दी गई धमकियों का प्रत्यक्ष परिणाम प्रतीत होता है, जिसने पीडीपी समर्थकों की गिरफ्तारी का आह्वान किया है।’’
मुफ्ती ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू करना, गहन राजनीतिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों में लोगों की सभाओं पर रोक लगाना, ‘‘चौंकाने वाला और बेहद चिंताजनक’’ है।
पीडीपी प्रमुख ने निर्वाचन आयोग से चुनावों में धांधली के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की अपील की।
इस बीच, श्रीनगर सीट से पीडीपी के उम्मीदवार ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कम मतदान का प्रयास कर रहे हैं।
पोस्ट में परा ने कहा, ‘‘अतीत में, कश्मीर में अलगाववादियों के इशारे पर बहिष्कार की घटनाएं हुई हैं। आज, हम एडीजीपी (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) रैंक के एक आईपीएस अधिकारी विजय कुमार के साथ वही परिदृश्य देख रहे हैं, जो अधिकारियों को हमारे कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर हिरासत में लेकर, परेशान करके मतदान प्रतिशत को कम करने का निर्देश दे रहे हैं। ऐसे कृत्य राष्ट्र-विरोधी तत्वों के हितों की पूर्ति करते हैं, न कि भारत के।’’
उन्होंने निर्वाचन आयोग से इसका संज्ञान लेने और कदम उठाने का आग्रह किया है।
भाषा आशीष नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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