Nameplate Controversy: कांवड़ यात्रा रूट में दुकानों पर दुकानदारों का नाम लिखने की जरूरत पर सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई हुई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मामले की सुनवाई करते हुए दुकानों पर नेम प्लेट लगाने संबंधी आदेश पर रोक लगाई थी वहीं अब मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो वो लगा सकता है, लेकिन इसे लेकर किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा रूट की दुकानों पर अनिवार्य रूप से नेमप्लेट लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. शुक्रवार को हुई सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को जारी रखा।
वहीं अब यूपी में कांवड़ यात्रा रूट पर इस प्रकार के आदेश जारी होने के बाद उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भी कांवड़ यात्रा रूट पर ऐसे ही आदेश जारी कर दिए गए। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की ओर से काउंटर एफिडेविट दायर किया जाए। मामले में अब अगली सुनवाई सोमवार को होगी। वहीं उत्तराखंड ने कहा कि, दुकानदारों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. अंतरिम आदेश से काफी दिक्कतें हो रही हैं। ये उपनियम सिर्फ खाने तक ही सीमित नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, व्यवसायों के लिए नेमप्लेच अनिवार्य होना चाहिए।
Nameplate Controversy: इसके बाद जस्टिस रॉय ने कहा कि, अगर कोई अपनी स्वेच्छा से नाम लिखना चाहता है तो लिखत सकता है। ढाबे के बाहर मालिक का नाम और कर्मचारी का नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। वहीं बेंच ने कुछ कांवड़ तीर्थयात्रियों की दलीलें भी सुनीं, जिन्होंने सरकार के निर्देशों का समर्थन करने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया था। जिसमें कहा गया था कि, कांवड़ यात्री केवल लहसुन और प्याज के बिना तैयार शाकाहारी भोजन ही लेते हैं।