कोहिमा, 22 जनवरी (भाषा) नगालैंड सरकार ने बुधवार को केंद्र से भारत-म्यांमा सीमा पर 10 किलोमीटर तक मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) और संरक्षित क्षेत्र परमिट (पीएपी) को फिर से लागू करने संबंधी अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग दोहराई।
मंत्री और सरकार के प्रवक्ता के जी केन्ये ने पत्रकारों से बातचीत में उन नये एफएमआर प्रतिबंधों को लेकर राज्य की तरफ से आपत्ति व्यक्त की, जिनमें पहले 16 किलोमीटर के दायरे के बजाय सीमा पर 10 किलोमीटर के दायरे तक आवाजाही को सीमित किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हम सरकार की सुरक्षा चिंताओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि नगालैंड की स्थिति अनोखी है और इसके लिए अलग दृष्टिकोण अपनाये जाने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि राज्य को समीक्षा के अनुरोध के संबंध में केंद्र से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
नगालैंड के विशिष्ट ऐतिहासिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए केन्ये ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य की चिंताओं पर विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘नगालैंड समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र का राजनीतिक केंद्र है और यह इस क्षेत्र के राज्यों और लोगों के जीवन के कई पहलुओं के लिए केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम पड़ोसी राज्यों के साथ सहानुभूति रखते हैं लेकिन नगालैंड के इतिहास और चिंताओं को समझा जाना चाहिए और इसके अनुसार उनका समाधान किया जाना चाहिए।’’
केन्ये ने बताया कि दिल्ली इस क्षेत्र के ऐतिहासिक संदर्भ से अच्छी तरह परिचित है, विशेष रूप से सामाजिक-राजनीतिक दृष्टि से। उन्होंने कहा, ‘‘नगालैंड की स्थिति पूरी तरह से अलग है। हमें उम्मीद है कि केंद्र हमारी भावनाओं को ध्यान में रखेगा और इन्हें पूरी तरह से खारिज नहीं करेगा।’’
एफएमआर को भारत और म्यांमा द्वारा सीमा पार व्यापार और सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए शुरू किया गया था, जिससे दोनों देशों के सीमावर्ती जिलों के निवासियों को सीमा के 16 किलोमीटर के दायरे में स्वतंत्र रूप से आने-जाने की अनुमति मिल सके।
हालांकि, इस आवागमन को 10 किलोमीटर के दायरे तक सीमित करने के केंद्र के हाल के फैसले ने चिंताएं पैदा कर दी हैं, विशेष रूप से नगालैंड में, जहां म्यांमा के साथ सीमा आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पीएपी को फिर से लागू करने के मुद्दे पर केन्ये ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही केंद्र को पत्र लिखकर इसे न लागू करने का आग्रह किया था।
पीएपी 1960 के दशक से नगालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में विदेशी नागरिकों के लिए सुरक्षा उपाय के रूप में लागू था। लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर एक दिसंबर, 2021 को रद्द कर दिया गया था।
इससे विदेशी नागरिकों को बिना परमिट के इन राज्यों में आसानी से प्रवेश मिल गया। हालांकि, दिसंबर 2024 में गृह मंत्रालय ने सुरक्षा चिंताओं के कारण नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम में पीएपी को फिर से लागू कर दिया।
नगालैंड सरकार ने कहा कि उसे उम्मीद है कि केंद्र और ‘ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन’ (ईएनपीओ) राज्य के छह पूर्वी जिलों को मिलाकर बनाये जाने वाले फ्रंटियर नगालैंड क्षेत्र (एफएनटी) की मांग को हल करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करेंगे।
इन छह जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य की मांग कर रहे नगा संगठन ईएनपीओ ने पिछले महीने कहा था कि उसने केंद्र के उस प्रस्ताव को ‘‘अस्थायी रूप से’’ स्वीकार कर लिया है, जिसके तहत इस क्षेत्र को एक निश्चित स्तर की स्वायत्तता प्रदान की जाएगी।
एफएनटी के गठन पर एक त्रिपक्षीय बैठक 15 जनवरी को नगालैंड के चुमौकेदिमा जिले में आयोजित की गई थी।
केन्ये ने कहा कि मामला “बेहतर ढंग से आगे बढ़ रहा है’’।
अगले दौर की बैठक की तारीख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लगातार बातचीत चाहती है ताकि मामले को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जा सके।
भाषा
देवेंद्र अविनाश
अविनाश