कोहिमा, 18 सितंबर (भाषा) नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप (एनएनपीजी) की कार्यसमिति ने दावा किया कि दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे को सुलझाने के लिए राज्य सरकार द्वारा बुलाई गई परामर्श बैठक में नए वार्ताकार की मांग और कुछ नहीं बल्कि ‘‘जानबूझकर राजनीतिक समाधान को विफल करने और विलंबित करने’’ की एक और चाल है।
एनएनपीजी की कार्यसमिति में कम से कम सात नगा समूह शामिल हैं।
एनएनपीजी की कार्यसमिति ने मंगलवार को कहा, ‘‘राजनीतिक स्तर पर नए वार्ताकार की नियुक्ति की मांग करने वाला राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) का पूर्व नियोजित और पहले से तैयार प्रस्ताव और कुछ नहीं, बल्कि जानबूझकर राजनीतिक समाधान को विफल करने और विलंबित करने की एक और चाल है।’’
एनएनपीजी की कार्यसमिति ने यह बात 12 सितंबर को राज्य सरकार की पीएसी द्वारा नगा राजनीतिक मुद्दे पर बुलाई गई परामर्श बैठक में अपनाए गए प्रस्ताव के संदर्भ में कही।
इसमें कहा गया है, ‘‘वार्ता के आधार पर शीघ्र समाधान के लिए भारत सरकार से आग्रह करने के बजाय नए वार्ताकारों की मांग करना कोई नई बात नहीं है, बल्कि जैसा कि अपेक्षित था, इससे समाधान में बाधा उत्पन्न होगी और नगा राजनीतिक प्रक्रिया फिर से शुरुआती स्थिति में आ जाएगी।’’
एनएनपीजी की कार्यसमिति ने केंद्र के साथ 2017 में बातचीत की थी और उसी साल नवंबर में समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
एनएनपीजी की कार्यसमिति ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ‘‘केंद्र सरकार, नगालैंड सरकार की पीएसी, वार्ता करने वाली संस्थाओं और आम नगा लोगों को यह सामान्य जानकारी है कि नगा राजनीतिक वार्ता आधिकारिक तौर पर 31 अक्टूबर 2019 को संपन्न हो गई है।’’
एनएनपीजी की कार्यसमिति ने यह भी कहा कि यह समझा जाना चाहिए कि पूर्व वार्ताकार आर. एन. रवि को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर पूरी तरह से सशक्त बनाया गया था। हालांकि, वार्ता चरण के पूरा होने के साथ ही केंद्र ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर ए के मिश्रा को त्वरित समाधान का कार्य सौंपा है और इसलिए नए वार्ताकार की आवश्यकता नहीं है।
भाषा यासिर नरेश दिलीप
दिलीप