बहुपक्षीय संवाद अब वैकल्पिक नहीं बल्कि आवश्यक: धनखड़ |

बहुपक्षीय संवाद अब वैकल्पिक नहीं बल्कि आवश्यक: धनखड़

बहुपक्षीय संवाद अब वैकल्पिक नहीं बल्कि आवश्यक: धनखड़

:   Modified Date:  September 27, 2024 / 06:18 PM IST, Published Date : September 27, 2024/6:18 pm IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि बहुपक्षीय संवाद अब वैकल्पिक नहीं हैं, बल्कि साइबर अपराधों और आतंकवाद से लेकर वर्तमान समय के खतरों तक से निपटने के लिए आवश्यक हैं।

उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि शांति के लिए अपनी स्थिति मजबूत करना जरूरी होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक शांति, सतत विकास की गारंटी है और यही अस्तित्व को बनाये रखने का एकमात्र तरीका है। लेकिन भू-राजनीतिक विन्यास और संघर्षों ने सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक परिवर्तन किया है।’’

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास ‘इंटरनेशनल स्ट्रेटेजिक इंगेजमेंट प्रोग्राम’ (इन-स्टेप) के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने वैश्विक शांति और सतत विकास के बीच मूलभूत संबंध पर जोर दिया।

वैश्विक सुरक्षा दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने वाले भू-राजनीतिक बदलावों को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि बहुपक्षीय संवाद अब वैकल्पिक नहीं हैं, बल्कि साइबर अपराधों और आतंकवाद से लेकर जलवायु परिवर्तन और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों तक मौजूदा समय के खतरों से निपटने के लिए आवश्यक हैं।

धनखड़ ने उभरते वैश्विक खतरों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जिनमें से कई कुछ साल पहले अकल्पनीय थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसी दुनिया में हैं जो जलवायु परिवर्तन, महामारी, साइबर खतरों और वैश्विक व्यवस्था में व्यवधान जैसी अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां आकस्मिक नहीं हैं, बल्कि शक्ति महत्वाकांक्षाओं और सतत विकास की उपेक्षा से प्रेरित नीतियों और कार्यों से उत्पन्न हुई हैं।

तकनीकी प्रगति के महत्व का उल्लेख करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘मशीन लर्निंग’ जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां वैश्विक विमर्श को आकार देने और गलत सूचना को कम करने में भूमिका निभा सकती हैं।

धनखड़ ने रेखांकित किया कि हानिकारक विमर्श को बेअसर करने के लिए विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाना चाहिए, जिनमें तथ्यात्मक आधार की कमी हो सकती है, लेकिन खतरनाक वैश्विक वातावरण बनाने की क्षमता है।

भारत के ‘अतिथि देवो भव’ दर्शन का जिक्र करते हुए, उपराष्ट्रपति ने जी-20 के आदर्श वाक्य: ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ में सन्निहित गर्मजोशी और सम्मान के साथ सभी का स्वागत करने में राष्ट्र के विश्वास को मजबूत किया।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र सुभाष

सुभाष

 

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