नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) केंद्र सरकार ने लोकसभा में सोमवार को कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों को पेश किया तथा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये विधेयक किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित करेंगे और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी।
तोमर ने किसानों के उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक को पेश किया जबकि उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को पेश किया जो इससे संबंधित अध्यादेशों की जगह लेंगे।
तोमर ने कहा कि प्रस्तावित कानून कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनायेगा। साथ ही किसानों को अपनी पसंद के निवेशकों के साथ जुड़ने का मौका भी प्रदान करेगा।
मंत्री ने कहा कि ये पहल, सरकार के देश के किसानों के कल्याण के लिए उसकी निरंतर प्रतिबद्धता के तहत किये गये तमाम उपायों की श्रृंखला में उठाया गया ताजा कदम है।
तोमर ने कहा कि लगभग 86 प्रतिशत किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम की कृषि भूमि है और वे अक्सर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बना रहेगा।
कांग्रेस और अन्य दल विधेयक का विरोध करते रहे हैं। उनका तर्क है कि यह एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देगा और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देगा।
तोमर ने कहा कि यह विधेयक किसानों की मदद करेगा क्योंकि वे अपने खेत में ज्यादा निवेश करने में असमर्थ हैं और दूसरे लोग उसमें निवेश नहीं कर पाते हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को केंद्र पर भरोसा करना चाहिए।
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार, उन राज्यों में परामर्श के बिना ही विधेयक लेकर आयी है, जिनके राज्य में ‘कृषि’ और ‘मंडियों’ का विषय आता है।
मंत्री ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि वे ‘विरोध के लिए विरोध’ करने से पहले विधेयक की सामग्री एवं अन्तर्वस्तु का गहराई से अध्ययन करें।
उन्होंने कहा कि किसानों को इन कानूनों से काफी फायदा होगा क्योंकि वे अपने उत्पादों को बेचने के लिए निजी कारोबारियों से समझौता कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि ये समझौते उपज के बारे में होंगे न कि खेत की जमीन के बारे में। उन्होंने इस आशंका को निर्मूल बताया कि इससे किसानों को अपनी जमीन का मालिकाना हक खोना पड़ सकता है।
विधेयकों का विरोध करते हुए कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं कि कृषि राज्य सूची का विषय है।
चौधरी ने कहा, ‘ऐसा कानून केवल राज्य सरकारों द्वारा लाया जा सकता है …. इस विधेयक के माध्यम से, केंद्र सरकार, विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा बनाई गई कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) कानून को रद्द कर देगी।’
केंद्र सरकार इस तरह का कानून बनाने के लिए सक्षम नहीं है, उन्होंने कहा, ‘यह विधायी अतिरेक का मामला है और संविधान के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है।’
चौधरी ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के किसान इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं।
तृणमूल सदस्य सौगत रॉय ने दावा किया कि इन विधानों के कारण खेती पूंजीपतियों के हाथों में चली जाएगी।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि विधेयक भारत के संविधान में निहित संघवाद के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने कहा कि विधेयक देशवासियों के भोजन के अधिकार को खतरे में डालता है।
कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020, राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गयी कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर कर लगाने से रोकता है और किसानों को अपनी उपज को लाभकारी मूल्य पर बेचने की स्वतंत्रता देता है।
वर्तमान में, किसानों को पूरे देश में फैले 6,900 एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने की अनुमति है। मंडियों के बाहर कृषि-उपज बेचने में किसानों के लिए प्रतिबंध हैं।
भाषा राजेश राजेश वैभव माधव
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