वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान चंद्रमा के तापमान में गिरावट देखी गई: अध्ययन

वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान चंद्रमा के तापमान में गिरावट देखी गई: अध्ययन

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  • Publish Date - September 30, 2024 / 06:38 PM IST,
    Updated On - September 30, 2024 / 06:38 PM IST

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) पृथ्वी पर 2020 में हुआ कोविड-19 लॉकडाउन का असर चंद्रमा तक पहुंच सकता है, क्योंकि अप्रैल-मई 2020 के दौरान चंद्रमा के तापमान में असामान्य रूप से गिरावट पाई गई है। एक अध्ययन में यह बात कही गई है।

इस अवधि में पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह पर अधिकतम तापमान में गिरावट आई, जबकि रातें लगभग 8-10 डिग्री सेल्सियस तक ठंडी होने का पता चला।

अहमदाबाद में स्थित फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी के शोधकर्ता के. दुर्गा प्रसाद और जी. एम्बिली ने ‘मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी: लेटर्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा है कि पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए चंद्रमा संभवतः एक ‘आधार’ के रूप में काम कर सकता है।

कोविड-19 रोग के प्रसार को रोकने के लिए, सबसे पहले मार्च 2020 में चीन और इटली में लॉकडाउन लागू किया गया था। अन्य देशों ने भी इन उपायों को तुरंत अपना लिया गया और इसके अगले महीने तक, दुनिया की लगभग आधी आबादी को किसी न किसी रूप में लॉकडाउन के तहत रहना पड़ा।

लॉकडाउन के कारण औद्योगिक प्रदूषण, परिवहन और जीवाश्म ईंधन के उपयोग जैसी मानवीय गतिविधियों पर गहरा असर पड़ा है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि मानवीय गतिविधियों में कमी के कारण ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन एवं प्रदूषक स्तर कम हुआ है, और इसलिए रात के समय पृथ्वी की सतह से कम ताप उत्सर्जित हुआ।

इस गर्मी का एक हिस्सा रात के समय चंद्रमा के पृथ्वी की ओर वाले हिस्से तक पहुंचता है और चंद्र सतह को गर्म करता है। इसलिए, लॉकडाउन से जुड़े प्रभावों को देखने के लिए, शोधकर्ताओं ने 2017-2023 तक चंद्रमा के पृथ्वी की ओर वाले हिस्से पर छह स्थानों पर दर्ज रात के समय के सतही तापमान का विश्लेषण किया।

अप्रैल-मई 2020 के दौरान, चंद्रमा तक पहुंचने वाली गर्मी काफी कम हो गई थी, और इसलिए, इसका कारण कोविड-19 लॉकडाउन को माना गया।

लेखकों ने लिखा, “अप्रैल 2020 से मई 2020 की वैश्विक लॉकडाउन अवधि के दौरान सभी स्थानों पर अधिकतम तापमान में कमी देखी गई । हमने रात के समय तापमान में लगभग 8-10 केल्विन का परिवर्तन देखा है।”

उन्होंने कहा कि चंद्रमा के अवलोकन, जैसे कि रात के समय का तापमान, जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के लिए चल रहे प्रयासों में संभवतः सहायता कर सकते हैं।

भाषा

जोहेब रंजन

रंजन